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बस्सी नगर पालिका में सफाई ठेके के नाम पर करोड़ों का घोटाला, जनता के पैसों का हो रहा दुरुपयोग

पर्दाफाश : राजगंगा

बस्सी नगर पालिका में सफाई ठेके के नाम पर करोड़ों का घोटाला, जनता के पैसों का हो रहा दुरुपयोग

बस्सी नगर पालिका क्षेत्र में सफाई व्यवस्था के नाम पर भारी भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। नए ठेकेदार को नगर पालिका द्वारा कचरा उठाने का ठेका दिया गया, जिसमें प्रतिदिन उठाए जाने वाले कचरे के वजन को बढ़ाकर भुगतान किया जा रहा है।

भ्रष्टाचार का गणित:

बस्सी क्षेत्र में प्रतिदिन औसतन 5-7 टन कचरा जनरेट होता है।

नए ठेकेदार को प्रतिदिन 15-17 टन कचरे का भुगतान ₹8,250 प्रति टन के हिसाब से किया जा रहा है।

पहले महीने में स्वास्थ्य विभाग ने 105 टन कचरा रिपोर्ट किया, लेकिन ठेकेदार को 331 टन का भुगतान कर दिया गया।

पहले नगर पालिका का सालाना खर्च मात्र ₹50-60 लाख था। अब, नए ठेकेदार को मात्र एक महीने में ₹27 लाख का भुगतान किया जा चुका है।

गंभीर सवाल:

1. कचरे की मात्रा अचानक तीन गुना कैसे बढ़ी?

बस्सी की आबादी और कचरा उत्पादन के औसत के अनुसार, प्रतिदिन 7-8 टन कचरा ही जनरेट होता है। फिर 15-17 टन का फर्जी दावा क्यों?

2. योग्यता के बिना ठेका क्यों दिया गया?

नगर पालिका ने अनुभवी और ए-क्लास फर्मों को नजरअंदाज कर, एक स्थानीय चाकसू की फर्म को ठेका दे दिया, जिसके पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं, न ही अनुभव।

3. भुगतान में भारी अनियमितता:

स्वास्थ्य निरीक्षक ने 105 टन कचरे की रिपोर्ट दी, लेकिन ठेकेदार को 331 टन का भुगतान किया गया। यह सीधा-सीधा जनता के धन का दुरुपयोग है।

नगर पालिका की भूमिका संदिग्ध :

राजगंगा की पड़ताल में, अधिशाषी अधिकारी और स्वास्थ्य निरीक्षक ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर मामले को टालने की कोशिश की। स्वास्थ्य निरीक्षक ने स्पष्ट किया कि उन्होंने 105 टन की रिपोर्ट दी थी। अतिरिक्त 226 टन का हिसाब अधिशाषी अधिकारी के पास है।

भविष्य में अधिक नुकसान का अंदेशा:

वर्तमान ठेके के अनुसार, सालभर में सफाई पर अनुमानित खर्च ₹2.42 करोड़ है। लेकिन इसी दर से घोटाला जारी रहा तो यह आंकड़ा ₹2.5 करोड़ से भी पार जा सकता है।

जनता के सवाल:

क्या बस्सी की सफाई के नाम पर जनता के पैसे का दुरुपयोग जारी रहेगा?

क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी?

क्या नगर पालिका इस गड़बड़ी को रोकने के लिए कदम उठाएगी?

बस्सी की जनता को गंदगी और भ्रष्टाचार के इस खेल का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। नगर पालिका के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग अब जोर पकड़ रही है।

 

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