नेविगेशनल ब्रोंकोस्कोपी : फेफड़ों के जटिल हिस्सों की बायोप्सी अब नॉन-सर्जिकल तरीके से संभव
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नेविगेशनल ब्रोंकोस्कोपी : फेफड़ों के जटिल हिस्सों की बायोप्सी अब नॉन-सर्जिकल तरीके से संभव
जयपुर। हेल्थ व्यू
अब फेफड़ों के उन कठिन हिस्सों में भी पहुंचना संभव हो गया है, जहां पहले केवल सर्जरी द्वारा ही पहुंचा जा सकता था। नेविगेशनल ब्रोंकोस्कोपी तकनीक ने नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा फेफड़ों के जटिल हिस्सों में विकसित ट्यूमर की बायोप्सी को संभव बना दिया है।
जयपुर में यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ ब्रोंकोस्कोपी एंड इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी (EABIP), इटर्नल हॉस्पिटल, और जैन चेस्ट केयर के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष हैंड्स-ऑन कोर्स का आयोजन किया गया। यह कोर्स इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के क्षेत्र में नई तकनीकों और कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
देश-विदेश के विशेषज्ञों ने दी जानकारी
सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. के.के. शर्मा और डॉ. नितिन जैन ने बताया कि इस कोर्स में भारत और विदेश से आए 30 से अधिक पल्मोनोलॉजिस्ट ने प्रशिक्षण लिया। इस आयोजन की अध्यक्षता EABIP के अध्यक्ष और कोर्स डायरेक्टर डॉ. ग्रिगोरिस स्ट्रेटाकोस ने की। उन्होंने बताया कि इस कोर्स से युवा डॉक्टरों को अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने और इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रथाओं को अपनाने का अवसर मिला।
तकनीक ने फेफड़ों के अंदर तक पहुंच को किया आसान
ग्रीस के डॉ. ग्रिगोरिस स्ट्रेटाकोस और मलेशिया के डॉ. जमालुल आजिजी ने बताया कि जिस प्रकार ब्रेन और स्पाइन सर्जरी में नेविगेशन का उपयोग होता है, अब उसी तकनीक का उपयोग फेफड़ों के इलाज में भी किया जाने लगा है। यह तकनीक उन जगहों पर पहुंचने में सहायक है, जहां पहले केवल ओपन सर्जरी द्वारा ही पहुंचा जा सकता था।
मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज
इटर्नल हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने बताया कि इस तरह के कोर्स नई पीढ़ी के डॉक्टरों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी प्रदान करते हैं। इससे मरीजों को अधिक उन्नत और सटीक इलाज का लाभ मिलता है।
इस तरह के आयोजन न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा देता है, बल्कि इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी की बढ़ती संभावनाओं को तलाशने का अवसर मिलता है।