हीटवेव लू लगना जानिए लू लगने से मृत्यु क्यों होती है? : डॉ अशोक शर्मा
dr ashok sharma । ayurved ।
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हीटवेव लू लगना
जानिए लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?
कुछ लोगो की ही कड़ी धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? इस बारे में सहारा आयुर्वैदिक हॉस्पिटल के वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक शर्मा कहते हैं कि
दरअसल हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।
शरीर के उस तापमान को मेंटेन करने के लिए पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर का 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है। लगातार पसीना निकलने से पानी में मौजूद कहीं आवश्यक तत्व भी पसीने के जरिए बाहर निकल जाते हैं इसलिए लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
साइंटिफिक बात यह है कि शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है यानी बंद कर देता है )
सोचने की बात है कि जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है और यदि शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है ( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )
साथ ही स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
इसके अलावा शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर लो हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग विशेषतः ब्रेन तक ब्लड की सप्लाई बाधित हो जाती है। जिससे व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।
इसलिए सलाह दी जाती है कि गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रहे इस ओर ध्यान देना चाहिए।
नौ तपा के दौरान
Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा।
कृपया 12 से 4 बजे के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
तापमान 40 डिग्री से अधिक होता है तो यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।
(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है।)
आपको सावधान किया जाता है कि शरीर को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें। किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी जरूर लें।
जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
ठंडे पानी से नहाएं। मांस का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।
फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
हीट वेव कोई मजाक नही
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।
शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरी बाल्टी रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है। ऐसा पर्दा भी लगाया जा सकता है जिसे कुछ-कुछ अंतराल में गीला करके नमी बनाई जा सकती है और कमरे को ठंडा रखा जा सकता है
अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें इसके लिए कुछ-कुछ अंतराल में माउथ फेस वाश करें होठों को गीला करें।
संपर्क सूत्र डॉ अशोक शर्मा मो 9314512311