राज्यपाल कलराज मिश्र ने नियुक्त किया डॉ धनंजय अग्रवाल को आर यू एच एस का कार्यवाहक वाइस चांसलर
ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी केस में आर यू एच एस के वीसी डॉ. सुधीर भंडारी का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद नए वीसी पद पर डॉ धनंजय अग्रवाल को कार्यवाहक नियुक्त किया गया है।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने डॉ धनंजय अग्रवाल को यह नियुक्ति दी। आपकी जानकारी के लिए बता दें डॉ धनंजय अग्रवाल ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामलों के विशेषज्ञ भी माने जाते हैं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी देने के मामले में सरकार पहले ही दो डॉक्टरों, अचल शर्मा और राजीव बगरहट्टा को बर्खास्त कर चुकी है। डॉ सुधीर भंडारी को सोट्टो के अध्यक्ष पद से भी हटाया जा चुका था। लेकिन सरकार की तरफ से उनके कुलपति पद से इस्तीफा देने का दबाव भी था। अंततः सुधीर भंडारी ने गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर कुलपति के पद अपना इस्तीफा सौंप दिया।
कुलपति की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी का गठन होता है और यह कमेटी ही कुलपति की नियुक्ति करती है. आरयूएचएस को नए कुलपति मिलने में फिलहाल वक्त लगेगा. तब तक डॉक्टर धनंजय अग्रवाल ही कामकाज संभालेंगे।
डॉ. सुधीर भंडारी के इस्तीफे के बाद डॉ. अमरजीत मेहता ने भी आरयूएचएस के प्रो-वीसी पद से इस्तीफा दे दिया है। वो आरयूएचएस के भर्तियों में हुई गड़बड़ी के मामले में कोयले की खदान के मुहावरे में थे। डॉ. अमरजीत सोट्टो से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं।
चिकित्सा मंत्री के बर्खास्त करने की सिफारिश से पहले दिया इस्तीफा।
गुरुवार को चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर भी राज्यपाल से मिले। मुलाकात से पहले उन्होंने स्वास्थ्य भवन में अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े फर्जीवाड़े में सुधीर भंडारी की भूमिका से संबंधित तथ्य जुटाए। इन्हीं तथ्यों को राज्यपाल के सामने रख कर वे डॉ सुधीर भंडारी को पद से हटाने की सिफारिश करते। लेकिन इससे पहले ही डॉ सुधीर भंडारी ने राज्यपाल से मुलाकात की उनके सामने अपना पक्ष रखा और इस्तीफा सौंप दिया।
चिकित्सा मंत्री ने डॉ भंडारी पर लगाए गंभीर आरोप
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि डॉ सुधीर भंडारी पहले एसएमएस अस्पताल में थे, वहां से उन्हें सोट्टो का चेयरमैन बनाया गया फिर उन्हें वाइस चांसलर भी बनाया गया, मंत्री ने कहा कि बहुत साफ है कि उन्हें बार-बार प्रमोशन मिल रहा था, और ऐसी चर्चा भी है कि उसे दौर में चिकित्सा महकमा में डॉक्टर सुधीर भंडारी का खौफ था। राजभवन पहुंचने से पहले भी चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था, डॉ भंडारी के पास कोई विकल्प नहीं है या तो वे इस्तीफा दें या उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
मंत्री बोले- यह करोड़ों का स्कैम, फर्जीवाड़ा से 2020 से चल रहा था
ऑर्गन ट्रांसप्लांट केस के फर्जी एनओसी मामले में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि अभी हमारी टीम राज्यपाल से मिली है। हमारी फाइंडिंग हमने सौंपी है. डिटेल रिपोर्ट सोमवार तक मिलेगी. जैसे पेपर लीक मामले में निर्देश दिए थे, वैसे ही इस मामले में मुख्यमंत्री ने जांच के लिए कहा है। जो भी तथ्य थे, हमने उनके सामने रखे।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि यह एक बहुत बड़ी साजिश है। 2020 से यह चल रहा है। कोई रजिस्टर नहीं था। कितने लोगों को एनओसी मिली, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था। गौरव सिंह के तार कहां तक जुड़े हैं, यह जानना जरूरी है। मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे, पेपर लीक की तरह कमिटी बनाकर जांच करवाएं। यह करोड़ों का स्कैम है। गंभीर मामला है। यह फर्जीवाड़ा 2020 से शुरू हो गया था।
एनओसी जारी करने वाली कमेटी का रिकॉर्ड 2020 से ही मीसिंग
मंत्री ने आगे कहा कि एनओसी जारी करने वाली कमिटी की बैठकों का कोई रिकॉर्ड 2020 से ही मिसिंग है, सिर्फ रजिस्टर पर यह लिखा है कि मीटिंग इतने बजे हुई। कितने लोगों को एनओसी मिली, क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं मिली।
जयपुर के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सवाई मान सिंह हॉस्पिटल के साथ-साथ राजधानी के कई बडे़ प्राइवेट हॉस्पिटल से ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंटरनेशनल रैकेट चल रहा था। अप्रैल में इसका खुलासा हुआ। इस मामले में आगे भी लगातार कार्रवाई जारी रहेगी।