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घीया हॉस्पिटल को माना दोषी । देने पड़ेंगे 15 लाख

घीया हॉस्पिटल को माना दोषी

जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय का फैसला

जयपुर @ हैल्थ व्यू। प्रसूता की मौत के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर- द्वितीय ने घीया अस्पताल व प्रबंधन को दोषी माना और हॉस्पिटल प्रबंधन को 15 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि नौ प्रतिशत ब्याज सहित परिवादी को देने के आदेश दिए ।

परिवाद खर्च के दस हजार रुपए भी अलग से देने के आदेश है।

आयोग के अध्यक्ष ग्यारसीलाल मीना व सदस्या हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश चाकसू निवासी लालाराम के परिवाद पर दिया।

आयोग में मामला यह कहा गया था कि विपक्षी घीया हॉस्पिटल ने सिजेरियन डिलेवरी की जरूरत नहीं होते हुए भी एलएससीएस ऑपरेशन कर दिया और उसमें लापरवाही से बच्चेदानी पर चीरा लगा दिया। इसके कारण अत्यधिक रक्तस्राव हुआ जिसे अस्पताल ने परिजनों से यह बात छिपाई। उसकी पत्नी की हालत गंभीर है।

केस बिगड़ने पर काफी देर बाद बाद हॉस्पिटल द्वारा परिजनों को यह जानकारी दी गई और कहा गया कि उनके यहां बच्चेदानी निकालने वाला डॉक्टर नहीं है। वहीं मरीज को महिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। जहां सक्षम डॉक्टर्स ने उसका इलाज किया। लेकिन वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। विपक्षी हॉस्पिटल ने रेफर के लिए लेटर जारी किया और उस पर ना तो डिस्चार्ज समरी लिखी और ना ही ऑपरेशन नोट।

आयोग ने माना कि विपक्षी अस्पताल ने ऑपरेशन में गंभीर लापरवाही बरती है और इसके चलते प्रसूता की मौत हुई।

मामले में परिवादी ने कहा था कि उसने अपनी पत्नी सायर को डिलेवरी के लिए 7 जुलाई 2010 को घीया अस्पताल में भर्ती कराया था और इसके लिए 14 हजार रुपए जमा करा दिए थे। लेकिन अस्पताल ने बिना सिजेरियन डिलेवरी की जरूरत के ही ऑपरेशन कर दिया और इसमें गंभीर लापरवाही बरतते हुए बच्चेदानी काट दी और ज्यादा रक्तस्राव के चलते उसकी पत्नी की मौत हुई है। जवाब में घीया अस्पताल का कहना था कि परिवादी आपातकालीन परिस्थितियों में अपनी पत्नी प्रसव की प्रोसेस शुरू होने की स्थिति में लेकर आया था। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान के प्रावधानों के अनुसार सही व उचित इलाज किया है और बच्चे को सही सलामत निकाल दिया था। परिवाद आधारहीन तथ्यों पर है जिसे खारिज किया जाए। आयोग ने दोनों पक्षों को सुनकर ऑपरेशन में लापरवाही मानते हुए घीया हॉस्पिटल को क्षतिपूर्ति व परिवाद खर्च देने का निर्देश दिया।

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