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अन्य अंगों की तरह आंखों पर भी ध्यान दें इसे भी आराम और व्यायाम की होती है जरूरत

अन्य अंगों की तरह आंखों पर भी ध्यान दें इसे भी आराम और व्यायाम की होती है जरूरत

स्वस्थ दृष्टि कुदरत का एक अनमोल उपहार है जिसे हमें कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। हमारी बढ़ती डिजिटल दुनिया में, जहां स्क्रीन और डिवाइस हमारे दैनिक जीवन पर अहम हिस्सा के रूप में हावी हैं।
नेत्र रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि आंखों पर तनाव का गहरा असर पड़ता है तनाव को अपने जीवन में कम करें।
आंखों को प्रदूषण से बचाए।

हथेली के इस्तेमाल से :
आंखों के आसपास की मांसपेशियों को आराम देना भी जरूरी है।
इसके लिए आप अपने हाथों को गर्म करने के लिए उन्हें आपस में रगड़ें और फिर अपनी आंखें बंद करके प्रत्येक हाथ की हथेली को संबंधित गाल की हड्डी पर रखें। अपने हाथों को आंखों पर रखें और 3-5 मिनट तक गहरी सांस लें।
गहरी सांस आपको तनाव कम करने में सहायक है।
पलक के झपकाने से :
स्क्रीन और डिजिटल उपकरणों के साथ बातचीत करने में समय बिताने से पलक झपकने की गति धीमी हो जाती है और सूखापन पैदा होता है।
पलकें झपकाने से तस्वीर दृश्य को बहाल करने में मदद मिलती है पलक झपकाने से हमारी आंखों को नमी मिलती है। आंखों को बंद करके, उन्हें 2-3 सेकंड के लिए रोके रखें ।और फिर उन्हें खोलें।
डिजिटल ऑन स्क्रीन वाले उपकरणों के कारण होने वाले तनाव को रोकने के लिए एक्सपोज़र के हर 20 मिनट में बस 20 सेकंड के लिए लगभग 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखें।
आंखों को धीरे से एक दिशा से दूसरी दिशा में और फिर वापस घुमाने से भी नेत्र क्षेत्र में तनाव और दर्द को कम करने में काफी मदद मिलती है।
दर्शन इंसान आंखों को आराम देने के बारे में कुछ नहीं सोचता है आंखों के व्यायाम के बारे में कुछ नहीं सोचता है यह सोच गलत है हमारे शरीर के सभी अंगों को आराम और व्यायाम दोनों की जरूरत होती है। आंख है तो जहान है आंखें अनमोल है। खोई दृष्टि वापस लाना लगभग नामुमकिन है। जितनी दृष्टि बची है केवल उसको बचाया जा सकता है।
अन्य अंगों की तरह आंखों की भी कराएं नियमित जांच।

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