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cardiology / हदय रोगहैल्थ

हृदय रोगों से बचाव पर अनमोल तथ्य सामने आए नेशनल कॉन्फ्रेंस ‘सीएसआई कार्डियक प्रिवेंट-23’ में

गर्भस्थ मां का उपचार करके भी ठीक कर सकते हैं गर्भस्थ शिशु की स्लो हार्ट रेट

– 18 से 20 हफ्ते के गर्भ में समस्या का पता लगना जरूरी
– नेशनल कॉन्फ्रेंस ‘सीएसआई कार्डियक प्रिवेंट-23’ में एक्सपर्ट्स ने साझा की अनमोल जानकारी

जयपुर। अगर गर्भावस्था में ही शिशु की धड़कन की समस्या के बारे में पता लगा लिया जाए तो मां का उपचार करके भी बच्चे की समस्या ठीक की जा सकती है। इसके लिए फीटल ईकोकार्डियोग्राफी टेस्ट किया जाता है जिसमें समस्या का पता लगने पर गर्भ में ही उसका इलाज हो सकता है और भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचाया जा सकता है। यह नवीनतम जानकारी जयपुर में शनिवार से आयोजित हुई दो दिवसीय नेशनल हार्ट कॉन्फ्रेंस ‘सीएसआई कार्डियक प्रिवेंट-23’ के पहले दिन हार्ट एक्सपर्ट्स ने हार्ट डिजीज से बचाव के बारे में दी।

कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. एसएम शर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में देशभर से 700 से अधिक डॉक्टर्स ने भाग लिया।

कॉन्फ्रेंस में हृदय रोग के होने से पहले बचाव पर विचार विमर्श हुआ। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन राज्यपाल कलराज मिश्र और प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीन शर्मा ने किया। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि हृदय रोग के होने से पहले ही उसके बचाव पर इस तरह की कॉन्फ्रेंस का आयोजन होने से नई जानकारी सामने आएंगी जो लोगों के लिए फायदेमंद होगी।

डॉ. समीन शर्मा ने तेजी से बढ़ रहीं हृदय की बीमारियों से बचने के लिए बचाव को अधिक महत्वपूर्ण बताया।

ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉक्टर दीपक माहेश्वरी

ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. दीपक माहेश्वरी ने कहा कि पहले दिन 40 से अधिक साइंटिफिक सेशन हुए जिसमें सीनियर फैकल्टी ने अपने-अपने विषय पर की गई रिसर्च सामने रखी।

जॉइंट सेक्रेटरी डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. दिनेश गौतम और ट्रेजरार डॉ. गौरव सिंघल ने सभी का स्वागत किया।

मां को दवाएं देने से ठीक होगा गर्भस्थ शिशु –
डॉ. मृणाल दास ने बताया कि बच्चों में भी हार्ट रेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। अगर गर्भावस्था के 18 से 20 हफ्ते के बीच ही फीटल ईकोकार्डियोग्राफी टेस्ट में उनकी हार्ट रेट से जुड़ी समस्या का पता लगता है तो यह ठीक हो सकती है। हालांकि धड़कन तेज होने पर जन्म के बाद ही उपचार संभव है लेकिन धड़कन कम है तो उसे गर्भ में ही ठीक हो सकती है। इसके लिए मां को दवाएं दी जाती है जिससे बच्चे की स्लो हार्ट रेट की समस्या रिवर्स यानि कि हो जाती है।

एनर्जी ड्रिंक पीने से हार्ट डिजीज का 10 प्रतिशत अधिक खतरा —
डॉ. एससी मनचंदा ने बताया कि एनर्जी ड्रिंक पीने से हार्ट डिजीज का खतरा 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ऐसी ड्रिंक्स कंटेन बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। इसे कम मात्रा में भी लेंगे, तब भी खतरा बराबर खतरा रहेगा। इसके अलावा यह भी माना जाता रहा है कि महिलाओं में मीनोपॉज के बाद पुरुष और महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा बराबर होता है। लेकिन पिछले एक दशक में महिलाओं में बढ़ते ऑफिस कल्चर के कारण स्ट्रेस बढ़ने से मीनोपॉज से पहले ही हार्ट डिजीज हो रही हैं। कामकाजी जीवन के कारण तनाव होने से महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा 21 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

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