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राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण प्रक्रिया पर सवालिया निशान

राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठ रहे हैं।
वर्ष-2013 में राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में सहायक रेडियोग्राफर के लिए पंजीकरण कराने वालों की संख्या 9 व लैब टेक्नीशियन की संख्या 53 थी, लेकिन वर्ष 2020 की भर्ती निकलने के बाद एक माह में रेडियोग्राफर की संख्या 9 से बढ़कर 154 व लैब टेक्नीशियन की संख्या 53 से बढ़कर 350 तक पहुंची।
इस बारे में राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार कैलाश नारायण मीणा का कहना है कि काउंसिल में नियमानुसार कम होता है हम नियम के विपरीत कोई काम नहीं करते।
पैरामेडिकल विशेषज्ञ कहते हैं कि इंडियन पैरामेडिकल काउंसिल का पूर्ण गठन होकर अस्तित्व में आने तक राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल को राजस्थान के बाहर के राज्यों से आए अभिवृत्तियों के पंजीकरण पर रोक लगनी चाहिए राजस्थान की युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिससे राजस्थान के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राथमिकता से मिल सके अन्यथा आने वाले दिनों में राजस्थान के बाहर के राज्यों के अभ्यर्थियों की फौज खड़ी हो जाएगी।
विभाग की नज़रंदाजी के कारण शिफॉन की ओर से की जा रही सहायक रेडी कर रेडियोग्राफरों की भारती में राजस्थान के युवाओं का हक छीना जा रहा है राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान की ओर से सहायक रेडियोग्राफर की दस्तावेज सत्यापन सूची में दिल्ली मध्य प्रदेश और यू पी के अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है।
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन यादव का कहना है कि बाहरी राज्यों की अभ्यर्थियों की घुसपैठ रोकने के लिए नियम बनने चाहिए और फर्जी लोगों को बाहर किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि राजस्थान के बाहर के राज्यों से फर्जी डिग्री के चक्कर में कर्मचारी चयन बोर्ड 2020 की ओर से की गई सहायक रेडियोग्राफर और लैब टेक्नीशियन भर्ती में मामला लंबित चल रहा है।

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