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बेहद रहस्यमयी है इन शिव मंदिरों की कहानी चढ़ाई जाती हैं अनोखी चीजें

सावन का महीना काफी पवित्र और खास माना जाता है। इस महीने भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त इस महीने तरह-तरह के कार्य और पूजा-पाठ करते हैं। साथ ही व्रत भी रखते हैं। इतना ही नहीं सावन के महीने में सभी शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। देशभर में लोग अलग-अलग शिव मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन कर उनकी आराधना करते हैं। सावन के खास मौके पर हम आपको उन अनोखे शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी काफी रहस्यमयी है। लोगों का कहना है कि आज भी इन शिव मंदिरों में रहस्य कायम है।

बिजली महादेव मंदिर

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर काफी रहस्यमयी माना जाता है। यहां हर 12 साल में मंदिर पर बिजली गिरती है, जिससे मंदिर को नुकसान नहीं होता लेकिन शिवलिंग के टुकड़े हो जाते हैं। इसके बाद यहां पुजारी नाज, दाल के आटे और मक्खन से शिवलिंग को दोबारा जोड़ते हैं।

अचलेश्वर महादेव मंदिर

राजस्थान के माउंट आबू में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर में रोजाना शिवलिंग रंग बदलता है। दिन में यहां शिवलिंग केसरिया रंग का दिखाई देता है और शाम होते ही इसका रंग सांवला हो जाता है। इस मंदिर की एक और खास बात है, यहां शिव जी के अंगूठे की पूजा होती है।

टिटलागढ़ शिव मंदिर

उड़ीसा के टिटलागढ़ में भी अनोखा शिव मंदिर है। जहां मंदिर के बाहर तो काफी गर्मी रहती है तो वहीं गर्भगृह में ठंडक रहती है। गर्भगृह में इतनी ज्यादा ठंड रहती है कि व्यक्ति 5 मिनट भी नहीं रुक पाता है। कुम्हड़ा पहाड़ की पथरीली चट्टानों पर बने इस मंदिर का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है।

पातालेश्वर मंदिर

उत्तर प्रदेश के बहनोई गांव में मौजूद पातालेश्वर मंदिर में शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि यहां झाड़ू चढ़ाने पर चर्म रोग से मुक्ति मिलती है।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के कवि कंबोई में स्थित है। इस मंदिर में स्वयं समुद्र अभिषेक करता है। समुद्र के बीच बसा ये शिव मंदिर दिन में दो बार समुद्र की लहरों में पूरी तरह डूब जाता है। सुबह और शाम दो बार ऐसा होता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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