Guru Purnima 2023 Special: जरूरतमंद बच्चों की फीस शिक्षण सामग्री की व्यवस्था खेती व खुद के वेतन से जुटा रहे ये शिक्षक
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बड़वानी। जिले के दुर्गम विकासखंड पाटी के सतपुड़ा की पर्वतमाला में बने पहाड़ी गांव खैरवानी के सरकारी स्कूल के दो शिक्षक अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। ये शिक्षक जरूरतमंद विद्यार्थियों की फीस, शिक्षण सामग्री की व्यवस्था खुद के वेतन के साथ ही स्कूल में खेती करके कर रहे हैं।
स्कूल परिसर में थोड़ी सी जमीन पर खेती कर उसकी उपज से जो आमदनी होती है, वह विद्यार्थियों की शिक्षण सामग्री व फीस पर खर्च करते हैं। वहीं हाल ही में 150 विद्यार्थियों की गणवेश की व्यवस्था खुद के वेतन के पैसों से की। गरीब जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई के लिए संकल्पबद्ध इन दोनों शिक्षकों की यह सेवा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
हम बात कर रहे हैं ग्राम दवाना के शिक्षक अश्विन गीते एवं जयराम डोडवा की। हाल ही में दोनों शिक्षकों ने 150 विद्यार्थियों की गणवेश खुद के वेतन से खरीदी और उन्हें प्रदान की। दरअसल शासन की ओर से दो वर्ष से गणवेश क्षेत्र में नहीं आई है।
स्कूल परिसर से लगी जमीन पर की खेती
दोनों शिक्षकों द्वारा गांव के ही एक किसान के सहयोग से स्कूल परिसर से लगी जमीन पर खेती की गई। शिक्षक अश्विन गीते ने बताया कि पहाड़ी गांव में गरीब व जरूरतमंद बच्चों के लिए कक्षा पहली से आठवीं तक की शिक्षण सामग्री व उनकी परीक्षा फीस को लेकर यह प्रयास किया गया। खेती से गेहूं, चना की जो उपज मिली उसे बाजार-मंडी में बेचकर जो आय मिली उससे शिक्षण सामग्री खरीदकर इन बच्चों को दी गई। वहीं स्कूल परिसर में छोटी-सी पेयजल टंकी का भी निर्माण किया गया। गांव के गरीब जरूरतमंद बच्चों को किसी भी बात का अभाव ना हो और उन्हें पूरी शिक्षा सुविधा मिले, इसके लिए ये नवाचार किए।
बच्चों के लिए लगाए जांच शिविर
ग्रामीणों के अनुसार दोनों शिक्षकों द्वारा शासकीय माध्यमिक विद्यालय खैरवानी में कक्षा पहली से आठवीं तक अध्ययनरत 150 विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए गए। हाल ही में सिकलसेल की जांच का शिविर भी लगाया गया। इनमें इनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
दूर-दूर से पैदल आते हैं बच्चे, अब देंगे छात्रावास
दोनों शिक्षकों के अनुसार यहां पर खैरवानी व आसपास के गांव जीवाणी, खैड़ी फलिया, तुअरखेड़ा के विद्यार्थी आते हैं। पांच से सात किमी दूर से कुछ विद्यार्थी पैदल आते हैं। आगामी दिनों में इनके छात्रावास की व्यवस्था यहां जनसहयोग से की जाएगी। इसमें क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी सहमति जताई है।