इंदौर के होटल अस्पताल रेस्त्रां के सभी मीनू में छाया मोटा अनाज
इंदौर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब कोई आह्वान करते हैं, तो देश के तमाम शहर उन्हें गौर से सुनते हैं। मगर अपना इंदौर गौर से सुनने के साथ-साथ एक कदम आगे बढ़कर उस आह्वान पर अमल भी करने लगता है। नहीं…हम स्वच्छता के आह्वान की बात नहीं कर रहे, क्योंकि इस पर तो खूब बात हुई और इंदौर लगातार छह बार से देश में नंबर वन भी आ रहा है। इस बार इंदौर ने प्रधानमंत्री द्वारा मोटा अनाज को अपनाए जाने के आह्वान को गले से लगाया है।
मजे की बात यह है कि इंदौर के घरों में ही नहीं बल्कि दिग्गज सितारा होटलों में भी मोटा अनाज अर्थात मिलेट्स के स्वादिष्ट पकवान बन रहे हैं। ये स्वाद में तो कमाल हैं ही, सेहत के मामले में भी आटा या मैदा से हजार गुना बेहतर हैं। नईदुनिया ने जब बड़ी होटलों के मीनू को खंगाला, तो उनमें से मोटे अनाज की महक आई। आइए, आप भी इस स्टोरी में उस महक का आनंद लीजिए।
स्वच्छता और स्वाद के बाद अब इंदौर स्वास्थ्य की राजधानी बनने की ओर भी अग्रसर है। इसका मुख्य कारण है कि चाट-चौपाटी से गुलजार शहर में अब मिलेट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां स्वाद के साथ स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा जा रहा है। मोटे अनाज को छोटी दुकानों के बाद अब प्रतिष्ठित होटल भी मीनू में शामिल कर रहे हैं। होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि मोटे अनाज की बढ़ती मांग को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है।
आज-कल लोग अपनी सेहत के प्रति अधिक सचेत हैं। इसके चलते खाने में मोटे अनाज को उपयोग कर रहे हैं। मिलेट्स में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के फायदे की वजह से मोटा अनाज का दैनिक आहार में उपभोग बढ़ाया जा रहा है। होटल, रेस्त्रां, और अस्पताल भी अब मिलेट्स आधारित व्यंजनों व उत्पादों को मीनू में शामिल कर रहे हैं। इसके चलते ग्राहकों या उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के मोटे अनाज से तैयार व्यंजन परोसे जा रहे हैं। मोटे अनाज से चाइनीज, इटेलियन और दक्षिण भारतीय व्यंजन तक तैयार किए जा रहे हैं।
सलाद और ब्रेकफास्ट में खूब होने लगी मांग
मिलेट्स के व्यंजनों की मांग होटलों में बढ़ने लगी है। इसे देखते हुए इन्हें मीनू में बाकायदा छपवाया गया है। होटल सयाजी के मुख्य शेफ मो. नाजिम कहते हैं- हमारे होटल में प्रतिदिन मोटे अनाज की मांग 20 से अधिक कस्टमरों की आती है। इसके चलते बाजरा, रागी, ज्वार और कोदो से बने व्यंजन गेस्ट को परोसे जाते हैं। सबसे ज्यादा तो ब्रेकफास्ट में और सलाद के साथ मिलेट्स की डिमांड करते हैं। यही वजह है कि कोदो का उपमा, कीनिया का सलाद और मिलेट्स का दलिया मीनू में रखा गया है। मिलेट्स के वेज कबाब भी बनाए जा रहे हैं। मोटा अनाज के व्यंजन तैयार करने के लिए चार से पांच घंटे पहले मोटे अनाज को भिगोकर रखना पड़ता है। इसके बाद ही उसे पकाया जाता है। लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं। लगातार इसकी डिमांड भी बढ़ रही है।
बाजरे का चीला, रागी की खांडवी, चिकपी का सलाद…
भारत के भोजन में मोटा अनाज कोई नई बात नहीं है। यहां दशकों से लोग ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, रागी आदि को भोजन में शामिल रखते आए हैं। किंतु धीरे-धीरे ये शहरों की थाली से गायब से हो गए थे। गांवों में भी गेहूं ने प्रभुत्व जमा लिया था। किंतु अब एक बार फिर ऊपर से नीचे की ओर बदलाव हो रहा है। टाप होटल और टाप शेफ अपने मीनू में मोटा अनाज के व्यंजन रख रहे हैं। होटल शैरेटन ग्रैंड पैलेस के मुख्य शेफ करमचंद्र डोगरा बताते हैं- जबसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोटा अनाज खाने का आह्वान किया है, लोगों का रुझान इसके प्रति बढ़ा है। अब लोगों ने घरों के अलावा होटल्स और रेस्त्रां में भी इसकी मांग शुरू कर दी है। यही वजह है कि इंदौर के कमोबेश सभी प्रतिष्ठित होटलों के मीनू में मिलेट्स के व्यंजनों को शामिल किया गया है। जो लोग स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, वे इसे सकारात्मक तौर पर ले रहे हैं। होटलों में बाजरे का चीला, रागी की खांडवी, चिकपी का सलाद, मिलेट्स को मिक्स करके ब्राउनी जैसे फूड तैयार किए जा रहे हैं।
अस्पतालों में भी बढ़ने लगी है मांग
मोटा अनाज के प्रमोटर व इन अनाजों के थोक सप्लाय सौरभ पोरवाल बताते हैं- बीते तीन से चार माह में ही शहर के प्रमुख होटल्स व अस्पतालों के मीनू में मिलेट्स का उपयोग तेजी से बढ़ गया है। शहर के कई होटलों में शेफ ग्राहकों की मांग पर मोटे अनाजों से व्यंजन बनाकर परोस रहे हैं। इसके अलावा कुछ अस्पतालों में डाक्टर भी मरीजों व उनके परिजनों को मोटे अनाज जैसे कोदो व सावा से बनी खिचड़ी खाने की सलाह दे रहे हैं। हम देख रहे हैं कि लोग अब अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूक हुए हैं। इस वजह से लोग अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल कर रहे हैं।
बीमारियों में लाभदायक मिलेट्स
ह्रदय संबंधी कोई समस्या हो, डायबिटीज की दिक्कत हो या कब्ज की समस्या, इनसे बचने के लिए उच्च फाइबर वाली डाइट को शामिल करना चाहिए। मोटे अनाज में फाइबर पर्याप्त मात्रा में होता है। यही वजह है कि अस्पतालों में मरीजों को कोदो की खिचड़ी और मोरधन की खीर दी जा रही है। इससे स्वास्थ्य पर सही प्रभाव पड़ता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मिलेट्स को सही मात्रा में ही लें बल्कि मिलेट्स को अच्छी तरह पकाकर ही लेना चाहिए ताकि संतुलन बना रहे। यह लोगों के लिए लाभदायक इसलिए भी हैं क्योंकि गेहूं में ग्लूटन पाया जाता है और कई लोगों को इससे एलर्जी होती है, इसलिए गेहूं की जगह मोटे अनाज का प्रयोग किया जा सकता है।
– प्रिया चितले, डायटीशियन