संस्कारों का हनन का नतीजा लालची हो रहे युवा
हाल ही जयपुर के सांगानेर इलाके में दिवाकर टांक ने बचपन के साथी हनुमान मीणा को अपहरण कर मार डाला। पड़ताल करने पर पता चला कि मृतक हनुमान सरस डेयरी में कंप्यूटर ऑपरेटर एलडीसी के पद पर नियुक्त था उसके पिताजी जगदीश मीणा के पास काफी पैसा था।
22 मई को हनुमान के पिताजी जगदीश मीणा ने सांगनेर थाने में अपने पुत्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनका बेटा हनुमान सुबह से लापता है। अगले दिन उन्होंने थाने में बताया कि उनके बेटे के मोबाइल से वीडियो भेज कर 1 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी जा रही है। सूचना के बाद रिपोर्ट दर्ज कर एडिशनल डीसीपी अवनीश शर्मा एसीपी राम सिंह व एसएचओ महेंद्र यादव के नेतृत्व में गठित टीमों ने हनुमान के दोस्त दिवाकर को चिन्हित किया और संदेह किया कि यह उसका काम हो सकता है उसके बाद उसके दो दोस्त बृजभान सिंह चौहान और उसके छोटे भाई योगेंद्र सिंह चौहान को चिन्हित किया। पूछताछ में चिन्हित किए आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने हनुमान की हत्या कर दी और शव को द्रव्यवती नदी में फेंक दिया पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाकर पूरी मेहनत कर देर रात शव को निकाला और पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया।
आरोपी हनुमान ने पुलिस को बताया कि उसने पैसे के लिए हनुमान का अपहरण किया था और उसको यह लालच भी दिया था कि तू चिंता मत कर तेरे पिताजी से जो फिरौती मिलेगी उसमें तुझे भी हिस्सा मिल जाएगा।
आरोपी और मृतक हनुमान बचपन के दोस्त थे और उन्हें पैसे का लालच था तब उन्होंने ऐसी योजना को आकार दिया। डीसीपी ज्ञानचंद यादव ने बताया कि आरोपी दिवाकर टांक पेशे से एडवोकेट था और उसे पता था कि हनुमान के पिता जगदीश के पास काफी धन है उसने इस साजिश को रचने के लिए 2 माह पहले पड़ोस में ही किराए पर मकान लिया था और वहां बृजभान ने अलग बहाने से हनुमान को बुलाने का प्रयास किया लेकिन वह मना करता रहा अंत में 22 मई को वह किसी प्रकार उसको बुलाने में कामयाब हो गया। वही उसे बंधक बना लिया रस्सी से हाथ पर बांधने के बाद मुंह पर टेप चिपका दी। मुंह नाक तक बंद होने से दम घुटने से हनुमान की मौत हो गई। इससे पूर्व आरोपियों ने हनुमान के मोबाइल से वीडियो बनाकर उसके पिता को वीडियो बेचकर ₹ 1 करोड़ मांगे और मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। पुलिस को गुमराह करने के लिए बृजभान ने मृतक हनुमान के कपड़े पहने और उसकी बाइक से तारों की कूट पहुंचकर बाइक को वहां लावारिस छोड़ दिया। इससे यह संदेश मिलता है कि संस्कारों का हनन इस प्रकार भारी है कि युवा पीढ़ी अपराध करने में संकोच नहीं करती है। इसलिए बच्चों को संतोषी बनाएं और संस्कारों भरा जीवन दिया जाए तभी इस प्रकार के अपराधों की कमी हो सकती है।