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अस्थमा और सीओपीडी: भ्रम और सच्चाई — डॉ. अशोक चारण की सलाह

dr ashok charan@sms hospital # chest/pulmonologist

अस्थमा और सीओपीडी: भ्रम और सच्चाई — डॉ. अशोक चारण की सलाह

जयपुर। एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के श्वसन रोग संस्थान में वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डॉ. अशोक चारण ने बताया कि आज भी अस्थमा और सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) को लेकर लोगों में कई भ्रांतियाँ बनी हुई हैं। अक्सर लोग इन दोनों बीमारियों को एक जैसा मान लेते हैं, जबकि दोनों की उत्पत्ति, लक्षण और उपचार विधियाँ भिन्न हैं।

डॉ. चारण के अनुसार, अस्थमा एक एलर्जिक बीमारी है, जो आमतौर पर धूल, पराग, प्रदूषण या अन्य एलर्जी पैदा करने वाले कणों से ट्रिगर होती है। वहीं, सीओपीडी मुख्य रूप से धूम्रपान करने वालों में पाई जाती है। इसका प्रमुख कारण लंबे समय तक तंबाकू उत्पादों का सेवन करना है, जिससे फेफड़ों की वायुनलिकाएं (एयरवेज) संकरी और अवरुद्ध हो जाती हैं।

उन्होंने बताया कि सीओपीडी में मरीजों को सांस लेने में कठिनाई होती है, जो समय के साथ इतनी गंभीर हो जाती है कि उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता पड़ सकती है। यह रोग धीरे-धीरे फेफड़ों की कार्यक्षमता को खत्म कर देता है और इसके कारण जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

डॉ. चारण ने कहा,….

> “हम यही सलाह देते हैं कि जो भी व्यक्ति फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों, जैसे कि धूम्रपान, का सेवन कर रहा है, वह भविष्य में इसके खतरनाक दुष्परिणामों के लिए तैयार रहे।”

 *इनहेलर को लेकर फैली भ्रांतियाँ भी हैं खतरनाक* 

उपचार को लेकर डॉ. चारण ने स्पष्ट किया कि सीओपीडी और अस्थमा दोनों में इनहेलर थेरेपी सबसे प्रभावी तरीका है। लेकिन आमजन में इनहेलर को लेकर एक आम भ्रांति यह है कि इसकी ‘आदत पड़ जाती है’।

> “लोग सोचते हैं कि इनहेलर की लत लग जाती है, जबकि सच यह है कि आदत तो बीड़ी-सिगरेट की पड़ती है। बीड़ी पीते वक्त यह कोई नहीं सोचता कि इसकी आदत पड़ जाएगी, लेकिन इनहेलर को लेकर डरते हैं। जबकि इनहेलर की दवाएं सुरक्षित होती हैं और इनका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता,” डॉ. चारण ने बताया।

इनहेलर द्वारा बहुत ही कम मात्रा में दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है और वायुनलिकाओं में अवरोध को कम करती है, जिससे सांस लेने में राहत मिलती है।

संपर्क सूत्र : डॉ अशोक चारण मो 9887056464

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