अब थायराइड की गांठ के ऑपरेशनं के दौरान गले पर किसी तरह की चौरा नहीं लगाना पड़ेगा।
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अब थायराइड की गांठ के ऑपरेशनं के दौरान गले पर किसी तरह की चौरा नहीं लगाना पड़ेगा।
इससे पहले मरीजों को दिल्ली, मुम्बई, बैंगलुरू और हैदराबाद आदि मेट्रो सिटी का रुख लेना पड़ता था।
एसएमएस अस्पताल के कान, नाक व गला विभाग में थायराइड ग्रंथि का ट्रांस एक्सिलरी एंडोस्कोपिक एप्रोच के जरिए ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध है।
ईएनटी विभाग के डॉ. अंजनी कुमार शर्मा ने बताया कि जयपुर निवासी 21 साल की मुत्री का ट्रांस एक्सिलरी एंडोस्कोपिक एप्रोच से थायराइड की गांठ की सर्जरी की गई। ऑपरेशन के बाद वह स्वस्थ है। डॉ. अंजनी शर्मा ने आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण साउथ कोरिया से लिया है। युवती के गले में थायराइड की गांठ के कारण साल भर से खाने-पीने में दिक्कत थी। और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी।
सरकारी स्तर पर इस तकनीक से पहली बार ऑपरेशन का दावा किया है। थायरॉइड की गांठ ग्रंथि में असामान्य वृद्धि होती है। थायरॉइड ग्रंथि गर्दन के सामने, कॉलरबोन के ऊपर स्थित होती है, जो हार्मोन बनाती है।
ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि पहले गले पर चीरा लगाना पड़ता था। इसके बाद एक निशान छूट जाता था, लेकिन अब आधुनिक तकनीक में गले पर बिना निशान, ब्लीडिंग एवं बिना दर्द के ऑपरेशन किया है।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी और एसएमएस अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने आधुनिक तकनीक से ऑपरेशन किया गया है। जिससे मरीजों को नई तकनीक से ऑपरेशन के लिए जयपुर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. कैलाश सिंह, डॉ. शीतल, डॉ. रवि, डॉ. वसंत, डॉ. कुमकुम, डॉ. मृत्युंज्य, डॉ. परिधि और डॉ. सौरभ शामिल रहे।