खातीपुरा सड़क चौड़ीकरण विवाद : स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में गहरा आक्रोश, न्यायिक प्रक्रिया पर उठे सवाल
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खातीपुरा सड़क चौड़ीकरण विवाद : स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में गहरा आक्रोश, न्यायिक प्रक्रिया पर उठे सवाल
जयपुर के खातीपुरा क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का आरोप है कि जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण) ने बिना पर्याप्त सूचना और न्यायिक आदेश के गलत तरीके से तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी है।
पीड़ितों का कहना है कि क्या हाई कोर्ट ने वास्तव में 160 फीट चौड़ी सड़क का आदेश दिया था?
जेडीए द्वारा 4 अप्रैल 2025 को जारी प्रेस नोट में कहा गया कि 21 नवंबर 2024 के हाई कोर्ट आदेश के पालन में अधिसूचना जारी की गई थी। जबकि सच्चाई यह है कि 29 नवंबर 2024 को माननीय उच्च न्यायालय ने अपने पहले के आदेश को निरस्त कर दिया था। उस आदेश के खिलाफ कोई अपील भी नहीं की गई। इसके बावजूद, जेडीए पुराने आदेश का हवाला देकर कार्रवाई करती रही, जिससे लोगों में भ्रम और आक्रोश है।
उन्होंने कहा कि सरकार के मध्य बिंदु निर्धारण में भारी गड़बड़ी है।
जेडीए द्वारा सड़क के दोनों ओर पहले लाल निशान और फिर पीले निशान लगाए गए, जिनमें 15 से 20 फीट तक का अंतर पाया गया। स्थानीय निवासियों का सवाल है कि जब दोनों ही निशान जेडीए ने लगाए, तो इतना अंतर क्यों है? इससे स्पष्ट है कि जेडीए के पास सड़क का मध्य बिंदु निर्धारित करने का कोई ठोस मापदंड नहीं है।
यह भी बताया कि कॉलोनी के इतिहास को भी नज़रअंदाज़ किया गया है।
खातीपुरा गांव आज़ादी से पहले से बसा हुआ है। निवासियों के पास 1950-60 के पंचायत पट्टे हैं, और कुछ के पास 1976-80 के सहकारी समिति से मिले आवंटन पत्र हैं। यह सारे दस्तावेज मास्टर प्लान और जेडीए के गठन से पहले के हैं। ऐसे में जेडीए द्वारा अतिरिक्त जमीन को सरकारी घोषित करना लोगों की नज़र में अन्यायपूर्ण है।
सुरेश कुमार मिठारवाल (एडवोकेट) का कहना है :
“यह पूरा मामला कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। यदि हमारे पास स्वामित्व के दस्तावेज हैं और कोई अधिग्रहण नहीं हुआ है, तो हम अवैध कब्जेदार कैसे हो सकते हैं? जेडीए को इस पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए।”
भवानी सिंह राठौड़ (व्यापार मंडल खातीपुरा अध्यक्ष) ने कहा :
“हमारे व्यापार और परिवार उजड़ रहे हैं। सरकार ने हमारी पीड़ा नहीं सुनी। बिना मुआवजा दिए दुकानें और घर गिराए जा रहे हैं। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है।”
पूर्व पुलिस अधिकारी नवदीप सिंह ने कहा :
“स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि कानून का पालन करते हुए पीड़ित पक्षों को सुने और समाधान निकाले। बिना निष्पक्ष जांच के कार्रवाई से जनता का विश्वास उठ जाता है।”
पूर्व विधायक डॉ. परम नवदीप सिंह ने कहा :
“सरकार का यह निर्णय असंवेदनशील और तानाशाही पूर्ण है। जनता को बिना सुने, उनकी रोजी-रोटी छीन लेना अन्याय है। हम इस मुद्दे को विधानसभा तक उठाएंगे और न्याय दिलाएंगे।”
प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में
स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने जेडीए को कई बार कानूनी नोटिस और स्वामित्व के दस्तावेज भेजे, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला।