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नीम-हकीमों के भ्रामक विज्ञापन और स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा

dr dinesh shah। piles।

नीम-हकीमों के भ्रामक विज्ञापन और स्वास्थ्य पर खतरा

भ्रामक इलाज से बढ़ सकता है रोग का खतरा

आजकल पाइल्स (बवासीर) और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे गुदा और आंत से जुड़े रोग आम होते जा रहे हैं।

पाइल्स क्लिनिक के गुदा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शाह का कहना है कि लोग अक्सर इन रोगों को पहचानने में गलती करते हैं। बिना विशेषज्ञ परामर्श के नीम-हकीमों और भ्रामक विज्ञापनों के झांसे में आकर फालतू इलाज करवाने से रोग ठीक होने के बजाय गंभीर हो जाता है।

लक्षणों को समझने में गलती क्यों होती है ?

मल के साथ खून आना सामान्यतः बवासीर का संकेत माना जाता है, लेकिन यह हमेशा सही नहीं होता। इसके अन्य संभावित कारण हो सकते हैं :

अल्सरेटिव कोलाइटिस

बड़ी आंत का कैंसर

रेक्टल पोलिप (आंत में गांठ)

अल्सरेटिव कोलाइटिस : एक गंभीर रोग

अल्सरेटिव कोलाइटिस बड़ी आंत की आंतरिक झिल्ली में सूजन और घाव पैदा करने वाला रोग है। यह आमतौर पर 20-40 वर्ष की आयु के बीच के लोगों में अधिक देखा जाता है।

मुख्य लक्षण :

1. बार-बार दस्त : रोगी को दिन में 20-30 बार पाखाना आ सकता है।

2. मल में खून और म्यूकस (बलगम) : खून के साथ मवाद और म्यूकस मिल सकता है।

3. पेट में ऐंठन और आफरा : गंभीर मामलों में पेट में मरोड़ और सूजन हो सकती है।

सही उपचार की आवश्यकता

इस रोग की सटीक पहचान के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

1. एंडोस्कोपी: बड़ी आंत की जांच करने के लिए एंडोस्कोपी की जाती है।

2. बायोप्सी: घावों के टुकड़े निकालकर उनकी जांच (बायोप्सी) से रोग की पुष्टि की जाती है।

3. शल्य चिकित्सा: गंभीर मामलों में खराब आंत को शल्य चिकित्सा द्वारा निकाला जाता है।

4. दीर्घकालिक दवा: इलाज के बाद भी दवा जारी रखनी होती है ताकि रोग दोबारा न हो।

सावधानी बरतें

डॉ. दिनेश शाह का कहना है कि अल्सरेटिव कोलाइटिस और अन्य गुदा रोगों में लापरवाही या गलत इलाज से रोग की जटिलता बढ़ सकती है। ऐसे में किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।

संपर्क सूत्र :

डॉ. दिनेश शाह

मोबाइल: 9414250973

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