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देश में तेजी से बढ़ रहा फैटी लिवर का खतरा

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देश में तेजी से बढ़ रहा फैटी लिवर का खतरा

 _लो-कैलोरी खानपान से करें लिवर की संभाल_ 

जयपुर। आपको बता दें लिवर शरीर की कैमिकल फैक्ट्री होती है। जो प्रोटीन, लिपिड तथा बिलिरूबिन को नियंत्रित करता है। खाने में अधिक वसा तथा कैलोरी लेने तथा परिश्रम रहित दिनचर्या की वजह से लिवर मे फैट जमा होने लगता है। इस स्थिति को ही फैटी लिवर कहा जाता है।

उपरोक्त जानकारी महात्मा गांधी अस्पताल के लिवर रोग विभाग की ओर से विश्व फैटी लिवर दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में चिकित्सकों ने दीं।

इस कार्यक्रम में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डाॅ. नैमिष एन मेहता, लिवर रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. विवेक आनन्द सारस्वत, डाॅ. करण कुमार, माॅडरेटर डाॅ विनय कपूर, एण्डोक्राइनोलोजिस्ट डाॅ. राजीव कासलीवाल, पीएमआर विभाग के डाॅ. सोनू सिंह तथा डाइटीशियन डाॅ. विनीता सक्सैना ने सम्बोधित किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डाॅ अचल गुलाटी थे। कन्वीनर डॉ एस एस जायसवाल रहे।

इस अवसर पर डाॅ. नैमिष मेहता ने बताया कि लम्बे समय तक खाने पीने के मामले में लापरवाही कर हम लिवर की सेहत को खतरे में डाल देते हैं। बार बार पीलिया होना, पेट में पानी भरना, खून की उल्टी होना जैसे लक्षणों लिवर फेलियर का संकेत होते हैं।

अंत में जिन्हें अंतिम उपचार के रूप में लिवर प्रत्यारोपण द्वारा उपचारित किया जाता है। डाॅ. विवेक आनन्द सारस्वत तथा डाॅ. करण कुमार ने बताया कि एसजीओटी, एसजीपीटी की साधारण रक्त जांच से लिवर की खराबी को शुरूआती अवस्था में पहचाना जा सकता है। फाइब्रोस्कैन से सख्त हो रहे लिवर की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि लिवर की खराबी से डायबिटीज, थायराॅइड, कैंसर, जननांगों की समस्या यहां तक कि ह्रदय की नसों में रूकावट जैसी बीमारियां भी सामने आने लगती है।

सुरक्षात्मक उपचार के रूप में उन्होंने कम वसा तथा कैलोरी युक्त खानपान तथा कोल ड्रिंक, एल्कोहल से परहेज रखते हुए कैलोरी बर्न कर वजन घटाने की सलाह दी।

फैटी लिवर की लिवर खराबी का संकेत: चिकित्सकों के अनुसार फैटी लिवर लिवर की खराबी की शुरूआत होती है। लापरवाही के चलते स्थिति लिवर सिरोसिस अथवा लिवर फेलियर तक पहुंच जाती है। आंकडों के अनुसार देश में हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर से प्रभावित पाया गया है। अक्सर शराब पीने वाले लोगों में फैटी लिवर होता है किन्तु शराब नहीं पीने वाले अधिक बीएमआई वाले उन व्यक्तियों में भी यह देखा जा रहा है। लिवर में 10 प्रतिशत से अधिक फैट पाये जाने पर ही इसे वजन कम करके, खानपान में वसा तथा कार्बोहाइड्रेट को कम किया जाना चाहिए। साथ ही दिनचर्या में सक्रियता को बढा कर इस लिवर फैट को कम किया जा सकता है।

प्रस्तुति – वीरेन्द्र पारीक

मो. 9929596601

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