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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
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मूवमेंट डिसऑर्डर का एडवांस्ड तकनीक से इलाज हुआ संभव : डॉ वैभव माथुर

बिना दिमागी नियंत्रण के गतिविधियों का होना मूवमेंट डिसऑर्डर कहलाता है आजकल मूवमेंट डिसऑर्डर स्पेशलाइज्ड ब्रांच बन गई है

एडवांस्ड तकनीक से इलाज हुआ संभव : डॉ वैभव माथुर

पहले इसे सभी न्यूरो फिजिशियन देखा करते थे और देखते हैं लेकिन अब आधुनिक मेडिकल साइंस की तरक्की के चलते मूवमेंट डिसऑर्डर को विशेष ब्रांच बना दिया गया है। जिसके पूरे भारतवर्ष में केवल 38 विशेषज्ञ है जिनमें राजस्थान में डॉक्टर वैभव माथुर एकमात्र मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट है।
निम्न लक्षण मूवमेंट डिसऑर्डर बीमारी की ओर इंगित करते हैं।
Hyperkinesia : इसमें अनयासपूर्ण, बिना नियंत्रण के गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं, जैसे कि शरीर की अकड़न, आकस्मिक छलांगें, या अचेत गतिविधियाँ।

Hypokinesia : इसमें शरीर गतिविधि असामान्य रूप से कम हो सकती है, और व्यक्ति की चलने, बोलने, और अन्य कार्यों में कठिनाइयाँ हो सकती हैं।

Tics or Involuntary Movements : इसमें अचानक आने वाली अकस्मिकता शामिल हो सकती है, जैसे कि आंख की झपकी, सिर की हिलन, कान, टांग आदि या अन्य टिक्स।

Bradykinesia : इसके अंतर्गत गतिविधियों में धीमापन होता है और कार्यों को पूरा करने में समय लगता है।

Dyskinesia : इसमें गतिविधियों की अनियमितता या अव्यवस्था होती है, जिससे व्यक्ति को असहज लगता है।
अपार्ट लक्षणों के इलाज के बारे में डॉक्टर वैभव माथुर कहते हैं कि शुरू में तीन-चार साल तक तो रोगी को गोलियों से राहत मिल जाती है लेकिन धीरे-धीरे दवाइयां का असर कम होता जाता है इसका स्थाई उपचार डीप ब्रेन स्टिमुलेशन को कहते हैं।

दवाइयों की भूमिका : अकस्मिकता और अन्य लक्षणों के लिए दवाइयां प्रयोग की जाती हैं, जैसे कि डॉपामीन प्रयोग करने वाली दवाएं।

फिजियोथेरेपी : फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी के माध्यम से गतिविधियों को सुधारा जा सकता है और फिजिकल कैपिसिटी को बेहतर बनाया जा सकता है।

डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) : जब दवाइयां और अन्य उपायों से लक्षणों का प्रबंधन कठिन हो जाता है तो यह एडवांस थेरेपी काफी कारगर सिद्ध सकती है

DBS प्रक्रिया का सिद्धांत यह है कि इसमें गहरे ब्रेन स्थानों में छोटे से इलेक्ट्रोड का प्रयोग करके विद्युत स्टिमुलेशन प्रदान करते है, जो ब्रेन की विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियों को संयंत्रित कर सकता है।

DBS प्रक्रिया के निम्न चरण होते हैं:

सबसे पहले हम रोगी की बीमारी की गंभीरता का मूल्यांकन करते हैं और DBS के लिए उपयुक्त मामलों की चयन करते हैं।
प्रक्रिया : डीप ब्रेन स्टिमुलेशन के लिए सर्जरी की प्रक्रिया में एक थिन और लॉन्ग वायर के साथ इलेक्ट्रोड को ब्रेन के गहरे हिस्सों में स्थापित किया जाता है।

स्टिमुलेटर डिवाइस : इलेक्ट्रोड को स्थापित करने के बाद, एक नियंत्रण डिवाइस (स्टिमुलेटर) स्थापित किया जाता है, जो स्थानिक रूप से गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।
DBS प्रक्रिया का उद्देश्य बीमारी के लक्षणों को कम करना या बाधाओं को हल करना है, जो रोगी की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है। यह प्रक्रिया से कई कठिन समस्याओं में सफलता प्राप्त हो सकती है, लेकिन हर व्यक्ति की स्थिति प्रकृति भिन्न होती है और उपचार का परिणाम विभिन्न हो सकता है।
डॉ माथुर कहते हैं कि मूवमेंट डिसऑर्डर से ग्रसित कुछ लोगों का जीवन कष्टदायक होता है साथ-साथ उनके परिजन की जीवन शैली भी अस्त-व्यस्त हो जाती है। मरीज की देखरेख और सभाल में वे भी खुद बीमार हो जाते हैं। ऐसे रोगियों के इलाज के लिए यह एक आधुनिक एडवांस तकनीक है।
संपर्क सूत्र : डॉक्टर वैभव माथुर मो +91 98526 60201

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