परमार्थ भवन पर साधु-संतों के भंडारा प्रसादी का दिव्य आयोजन
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परमार्थ भवन पर साधु-संतों के भंडारा प्रसादी का दिव्य आयोजन
परमपिता मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी एवम् राम भक्त श्री हनुमान जी महाराज की असीम अनुकंपा से तथा परम पूज्य, अनन्त विभूषित, प्रातः वंदनीय, संत शिरोमणि श्री श्री 1008 श्री रामजी बाबा कोकिल जी महाराज (श्रीधाम वृंदावन) के सौजन्य से सनातनी परंपरा को सुदृढ़ करने के पावन उद्देश्य से जयपुर के 161 (लगभग) प्रमुख साधु-संतों की भंडारा प्रसादी का भव्य आयोजन मोती नगर बी, कटेवा नगर स्थित परमार्थ भवन में श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ।
यह मांगलिक आयोजन दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत रहा। जैसे ही संत महात्माओं ने अपनी मधुर वाणी से भजन-कीर्तन प्रारंभ किया, सम्पूर्ण वातावरण राममयी हो गया। भक्तों के मन आनंद की तरंगों से भर उठे और वे भावविभोर होकर श्रीराम-नाम के सागर में गोता लगाने लगे। इस अद्भुत आध्यात्मिक लहर ने समस्त भक्तों को भक्ति-रस में सराबोर कर दिया।
इस पावन अवसर पर संत-समागम के साथ-साथ पुण्यवान भक्तों ने सेवा व समर्पण का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। सभी श्रद्धालुओं ने बड़े प्रेम और भक्ति भाव से संतों को प्रसादी अर्पित की, जिससे यह आयोजन एक आध्यात्मिक महोत्सव का रूप ले सका।
इस दिव्य एवं प्रेरणादायक आयोजन में श्रद्धालु भक्तों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें प्रमुख रूप से सर्वश्री आर के अग्रवाल, श्याम विजय, ओम प्रकाश शर्मा, रामावतार माहेश्वरी, ज्ञान स्वरूप भटनागर, मोहनलाल जायसवाल, नरेन्द्र कुमार टांक, राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, नवल किशोर पारीक, जे एन मीना, द्वारका प्रसाद अग्रवाल, अजीत भटनागर, सत्यनारायण गुप्ता, अरुण आहूजा, सुरेश कुमार गुप्ता, कैलाश चन्द्र गंगवाल, राधेश्याम सोनी, भगवान सहाय मूर्तिकार, चन्द्र प्रकाश गोयल, पवन कुमार नांगलिया, रामबाबू अग्रवाल (योगा वाले), आर एल अग्रवाल, रवि चतुर्वेदी, श्रीमती संतोष कंवर शेखावत, सावित्री अग्रवाल, निर्मला सिंह, पुष्पा टांक, शोभा टांक, यशोदा मिश्रा, रेनुका माथुर, कृष्णा सोनी सहित अन्य श्रद्धालुजन सम्मिलित रहे।
इस आयोजन ने न केवल सनातन संस्कृति और परंपरा को सशक्त किया बल्कि भक्ति, सेवा और समर्पण के दिव्य मूल्यों को भी प्रतिष्ठापित किया। ऐसे आयोजनों से समाज में धर्म और सद्भाव का संचार होता है और हर हृदय में प्रभु श्रीराम के प्रति अटूट श्रद्धा उत्पन्न होती है।