बिना डॉक्टर की सलाह दवाओं का सेवन: किडनी और लिवर की समस्या बढ़ा रहा : स्वार्थ और अनदेखी
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बिना डॉक्टर की सलाह दवाओं का सेवन: किडनी और लिवर की समस्या बढ़ा रहा स्वार्थ और अनदेखी
जयपुर।
मौसम बदलने के साथ सर्दी-जुकाम, बुखार और वायरल जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। इसके चलते लोग बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक और पेनकिलर जैसी दवाओं का मनमर्जी से सेवन कर रहे हैं। यह आदत न केवल किडनी और लिवर फेल्योर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है, बल्कि कई बार यह जानलेवा भी साबित हो रही है। एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में हर दिन ऐसे 20-30 मरीज पहुंच रहे हैं, जिनकी यह लापरवाही उनके स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा चुकी है।
कैसे नुकसान पहुंचा रहा है बिन परामर्श दवा का सेवन?
डॉ. विनय मल्होत्रा (वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट, एसएमएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल) के अनुसार, बगैर परामर्श ली गई दवाओं से किडनी और लिवर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
एंटीबायोटिक्स और पेनकिलर का जरूरत से ज्यादा या गलत तरीके से उपयोग बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता (रेजिस्टेंस) बढ़ा देता है।
इससे दवाएं असर करना बंद कर देती हैं, और मरीज का इलाज जटिल व खर्चीला हो जाता है।
ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
मरीजों की लापरवाही और केमिस्ट की जिम्मेदारी:
1. पुरानी दवाओं का इस्तेमाल:
कई लोग पिछली बीमारी में इस्तेमाल की गई दवाओं को बिना सोचे-समझे दोबारा ले लेते हैं, जो शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
2. मेडिकल स्टोर्स की मनमानी:
बिना डॉक्टर की पर्ची के एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री आसान है, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1948 का उल्लंघन है। योग्य फार्मासिस्ट के अभाव और जागरूकता की कमी से यह समस्या और गंभीर होती जा रही है।
3. डॉक्टर की फीस और समय का अभाव:
लोग डॉक्टर की फीस को महंगा मानते हैं या उनके पास समय नहीं निकाल पाते। यह समस्या उन्हें मेडिकल स्टोर्स पर सलाह लेकर दवा खरीदने के लिए प्रेरित करती है।
4. केमिस्ट की स्वार्थ भरी दुकानदारी:
कई केमिस्ट मरीजों की परेशानी का फायदा उठाकर उन्हें बिना जांच के दवाएं दे देते हैं, जिससे उनकी समस्या बढ़ जाती है।
डॉक्टर से परामर्श क्यों जरूरी है?
केवल डॉक्टर को पता होता है कि एंटीबायोटिक या पेनकिलर कब और कितनी मात्रा में देनी है।
डॉक्टर यह भी सुनिश्चित करते हैं कि क्या मरीज की स्थिति में एंटीबायोटिक दवाएं आवश्यक हैं।
कई बार मरीज दूसरी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं, और बिना परामर्श दवा लेने से यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।
क्या हो सकता है समाधान ?
1. ड्रग एक्ट का हो सख्ती से पालन:
मेडिकल स्टोर्स पर बिना डॉक्टर की पर्ची दवाओं की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए। औषधि नियंत्रण अधिकारी अपनी ड्यूटी के प्रति संवेदनशील नहीं।
2. फार्मासिस्ट की होती है जिम्मेदारी :
योग्य फार्मासिस्ट की नियुक्ति और उनकी नैतिक जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
3. जागरूकता अभियान जरूरी :
लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि बिन परामर्श दवाओं का सेवन उनके जीवन को खतरे में डाल सकता है।
4. सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएं:
डॉक्टर की फीस और सेवाओं को आम जनता के लिए किफायती बनाना जरूरी है।
चेतावनी के साथ संदेश :
बिना डॉक्टर की सलाह दवा लेना खतरनाक है। यह लिवर और किडनी को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में खुद डॉक्टर न बनें। डॉक्टर से परामर्श लें और स्वास्थ्य का ध्यान रखें। याद रखें, छोटी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।