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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
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बेजुबानों की निःस्वार्थ सेवा का अनुकरणीय उदाहरण: जयपुर का पक्षी चिकित्सालय

पक्षी सेवा में संकल्पित टीम

बेजुबानों की निःस्वार्थ सेवा का अनुकरणीय उदाहरण: जयपुर का पक्षी चिकित्सालय

मानव समाज में सेवा कार्यों की भरमार है, परंतु जब यह सेवा उन बेजुबान, बेसहारा और जरूरतमंद पक्षियों के लिए हो, जो अपना दर्द भी नहीं बयां कर सकते, तो यह सेवा अपने आप में एक अनूठा और प्रेरक उदाहरण बन जाती है।

जयपुर में स्थित राजस्थान जनमंची ट्रस्ट द्वारा संचालित जयपुर बर्ड हॉस्पिटल न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

30 वर्षों से निरंतर सेवा का प्रेरणादायक सफर

जयपुर बर्ड हॉस्पिटल की स्थापना 30 वर्ष पूर्व कमल लोचन जी ने की। अपनी निःस्वार्थ भावना और सेवाभाव से प्रेरित होकर उन्होंने इस संस्थान को उन घायल, बीमार, लावारिस और बेसहारा पक्षियों के लिए समर्पित किया, जो प्रकृति की चुनौतियों या मानव निर्मित खतरों से जूझ रहे थे। आज यह अस्पताल 200 से अधिक वालंटियर्स और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के साथ न केवल पक्षियों को नया जीवन देता है, बल्कि हमें भी प्रकृति और प्राणी मात्र के प्रति संवेदनशील होने का संदेश देता है।

संवेदनशीलता और समर्पण का जीवंत उदाहरण

यह पक्षी चिकित्सालय सभी प्रकार के पक्षियों के लिए पूर्णतः निःशुल्क उपचार, दवाइयों, भोजन और आश्रय की व्यवस्था करता है। यहां घायल और अपंग पक्षियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार बड़े-बड़े हरियालीयुक्त वार्डों में रखा जाता है, जहां वे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पाते हैं। 18 बड़े और 15 छोटे वार्डों के साथ यह चिकित्सालय पक्षियों की प्रजाति और उनकी बीमारी के अनुसार विशेष देखभाल करता है।

पतंगबाजी के मौसम में जीवन का संबल

हर साल जनवरी में पतंगबाजी के मौसम में घायल पक्षियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होती है। इस कठिन समय में जयपुर बर्ड हॉस्पिटल पक्षियों के लिए आश्रय बनकर उभरता है। पिछले सप्ताह में ही लगभग 900 पक्षियों का उपचार किया गया। यहां आने वाले पक्षियों का न केवल उपचार होता है, बल्कि स्वस्थ होने पर उन्हें उनके स्वाभाविक वातावरण में छोड़ दिया जाता है।

कोरोना काल में भी अमूल्य सेवा

जब कोरोना महामारी के समय हर कोई घरों में कैद था, तब इस संस्थान ने राज्य सरकार की अनुमति से चुग्गा स्थलों पर हजारों पक्षियों को भोजन उपलब्ध कराया। यह कार्य न केवल पक्षियों के लिए जीवनदायिनी था, बल्कि मानवता का एक उज्ज्वल पक्ष भी प्रस्तुत करता है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान

जयपुर बर्ड हॉस्पिटल को न केवल राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। एनिमल वेलफेयर, पशु-पक्षी संरक्षण और पर्यावरण सेवा के क्षेत्र में इस संस्थान और इसके संस्थापक कमल लोचन जी को कई सम्मान प्राप्त हुए हैं।

हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत

जब त्यौहार, छुट्टियां या आपदा का समय हो, जयपुर बर्ड हॉस्पिटल की सेवाएं कभी रुकती नहीं। यह संस्थान हमें सिखाता है कि सेवा सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि उन बेजुबानों के लिए भी होनी चाहिए, जो हमारी संवेदनशीलता और मदद के सबसे अधिक हकदार हैं।

“यह केवल एक अस्पताल नहीं, बल्कि बेजुबान पक्षियों के लिए एक मंदिर है, जहां हर घायल परिंदा स्वास्थ्य पाकर फिर से उड़ान भरता है।”

आज हम सभी को इस अद्भुत कार्य से प्रेरणा लेकर अपने आसपास के बेसहारा प्राणियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। जयपुर बर्ड हॉस्पिटल न केवल एक संस्थान है, बल्कि यह मानवता की पराकाष्ठा का प्रतीक है।

 

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