एलएमबी को मिठाई एवं नमकीन रत्न अवॉर्ड: परंपराओं की मिठास और वैश्विक पहचान
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एलएमबी को मिठाई एवं नमकीन रत्न अवॉर्ड : परंपराओं की मिठास और वैश्विक पहचान
त्योहारों को यादगार बनाने में लक्ष्मी मिष्ठान भंडार (एलएमबी) संस्थान का योगदान अविस्मरणीय है। एलएमबी की मिठाइयां और नमकीन त्योहारों में एक विशेष मिठास घोलती हैं।
तीज के पारंपरिक पर्व पर यहां के घेवर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। न केवल राजस्थान में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भी मारवाड़ी समुदाय द्वारा एलएमबी के घेवर मंगवाए जाते हैं।
एलएमबी की टिकिया और दही बड़े का भी पुरानी पीढ़ियों में विशेष क्रेज रहा है। टिकिया का स्वाद इतना अनोखा और लाजवाब है कि इसका नाम सुनते ही लोग इसके दीवाने हो जाते हैं।
हाल ही में स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित वर्ल्ड मिठाई-नमकीन कन्वेंशन एक्सपो में एलएमबी को मिठाई एवं नमकीन रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान एलएमबी के निदेशक अजय अग्रवाल और उनके पुत्र अनन्य अग्रवाल ने प्राप्त किया।
निदेशक अजय अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा, “वर्ल्ड मिठाई-नमकीन कन्वेंशन एक्सपो में यह सम्मान मिलना हमारे लिए गर्व का विषय है।” उन्होंने बताया कि उनके पिता श्री राधेश्याम अग्रवाल के मार्गदर्शन में एलएमबी ने अपनी साख को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है।
सन् 1727 से लगातार 297 वर्षों से सक्रिय यह प्रतिष्ठान आज परिवार की 11वीं, 12वीं और 13वीं पीढ़ी के सामूहिक प्रयासों से संचालित हो रहा है। कुछ वर्ष पूर्व भी एलएमबी को इसकी प्रसिद्ध मिठाई घेवर के लिए अवॉर्ड मिल चुका है।
एलएमबी का इतिहास भी उतना ही समृद्ध है जितनी इसकी मिठाइयां।
टोंक के हलवाई घोड़ामल ने अपने परिवार के साथ जयपुर आकर जौहरी बाजार की परतानियो का रास्ता में यह दुकान शुरू की थी।
1940 के दशक में 16वीं पीढ़ी के सेठ मालीराम घोड़ावत ने इसे मुख्य सड़क पर स्थानांतरित किया।
जहां यह आज भी स्थित है।
एल एम बी के निदेशक अजय अग्रवाल के अनुसार, “हम जयपुर जितने ही पुराने होने का दावा करते हैं, जो 1727 में स्थापित हुआ था।” आज एलएमबी न केवल पारंपरिक राजस्थानी मिठाइयों का केंद्र है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुका है।
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