पंजीकरण की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की लेकिन मेडिकल काउंसिल का सहयोग नहीं
राजस्थान मेडिकल काउंसिल में व्याप्त है तानाशाही और हो रहा है मेडिकल छात्रों के कैरियर के साथ खिलवाड़
पंजीकरण की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की
मेडिकल काउंसिल में तानाशाही व्याप्त नहीं करते सहयोग
आवेदन कर्ता डॉक्टर यादव ने बताया कि राजस्थान मेडिकल काउंसिल में सी पी एस मुंबई डिप्लोमा की अतिरिक्त योग्यता के पंजीकरण के लिए अनेक कैंडिडेट्स ने पिछले 5-6 सालों से आवेदन किया हुआ है। आवेदन के बाद अभी तक पंजीकरण नंबर नहीं दिया गया है। काउंसलिंग आवेदन कर्ताओं को स्पष्ट कारण नहीं बता रहे हैं। आरटीए में जवाब दिया गया कि आरएमसी द्वारा एमसीआई से मान्यता प्राप्त कोर्सेज को एवं एमसीआई द्वारा समय-समय पर दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार एवं सीपीएस मुंबई से प्राप्त डिप्लोमा कैंडिडेट को एमसीआई की विभागीय वेबसाइट पर रिकॉग्नाइज स्टेटस दर्शाए जाने पर तथा राजस्थान सरकार का सीपीएस मुंबई के साथ दिनांक 23 दिसंबर 2015 को हुए एमओयू के आधार पर सीपीएस डिप्लोमा में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद ही हम पंजीकरण करते हैं।
बताया गया कि सभी मेडिकल कोर्सेज एमसीआई द्वारा ही रिकॉग्नाइज किए जाते हैं। यह कि एमसीआई द्वारा 39 सीपीएस डिप्लोमा कोर्सेज दिनांक 17 अक्टूबर 2017 को रिकॉग्नाइज किए गए और उनमें से 36 डिप्लोमा कोर्सेज दिनांक 12 फरवरी 2018 को वापस डी रिकॉग्नाइज किए गए।
हमारा यह कहना है कि कुछ ऐसे कैंडिडेट भी हैं जिनकी अतिरिक्त योग्यता एमसीआर से रिकॉग्नाइज नहीं है और जिन्होंने दिनांक 17 अक्टूबर 2017 से पहले तथा दिनांक 12 फरवरी 2018 के बाद जब यह कोर्स डी रिकॉग्नाइज था। अन्य राज्यों द्वारा रिकॉग्नाइज था उनके स्टेट मेडिकल एक्ट में तो इन कोर्सेस में प्रवेश दिया तथा जिन्होंने राजस्थान सरकार द्वारा प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण नहीं कि उनको भी पंजीकरण दिया गया।
राजस्थान हाई कोर्ट ने दिनांक 31 जुलाई 2018 को अपने निर्णय में यह बताया कि राजस्थान सरकार का सीपीएस मुंबई के साथ दिनांक 23 दिसंबर 2015 को हुआ मो ओ यू अभी स्टैंड कर रहा है।
एम ओ यू के बिंदु संख्या 38 के आधार पर अन्य राज्यों से सीपीएस डिप्लोमा करके आने वाले कैंडिडेट को राजस्थान गवर्नमेंट द्वारा अतिरिक्त योग्यता के रूप में ट्रीट किया जाए चाहे कैंडिडेट नीट पीजी क्वालिफाइड हो या ना हो
एम ओ यू के बिंदु संख्या 38 के अनुसार अन्य राज्यों से अतिरिक्त योग्यता धारी कैंडिडेट को यहां राजस्थान में पंजीकृत किया जाए चाहे वह नीट क्वालिफाइड हो या नहीं।
कोर्ट का मानना यह है कि सीपीएस डिप्लोमा योग्यता राज्य स्तरीय अधिकार क्षेत्र में है न कि नेशनल स्तर पर।
इन डिप्लोमा में प्रवेश भी राज्य सरकार की अपनी डायरेक्टिव पॉलिसी के आधार पर दिया जाता है जो हर स्टेट की अलग-अलग होती है।
योग्यता पूर्ण करने के बाद उनके पंजीकरण की जिम्मेदारी भी राज्य सरकारों की ही है इसलिए सीपीएस मुंबई से हुए एम ओ यू के आधार पर पंजीकरण किए जाएं अन्य राज्यों की मेडिकल काउंसिल ने तो सीपीएस डिप्लोमा धारी कैंडिडेट को पंजीकृत कर दिया लेकिन राजस्थान मेडिकल काउंसिल द्वारा राजस्थान सरकार की अधिसूचना दिनांक 21 अगस्त 2017 को दरकिनार करते हुए इन कैंडिडेट के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
काउंसिल अपने चहेतों को रजिस्ट्रेशन तो कर देते हैं और जो चहेता नहीं है उसे चक्कर कटवाते हैं। काउंसिल में अंधेर गर्दी और तानाशाही व्याप्त है।