जिंदगी का एडिक्शन बन रही कुछ दवाएं: डॉ सिदाना
बिना चिकित्सा सलाह के दवा लेने से ही बढ़ती है नशे की प्रवृत्ति
जिंदगी का एडिक्शन बन रही कुछ दवाएं: डॉ सिदाना
बिना चिकित्सा सलाह के दवा लेने से ही बढ़ती है नशे की प्रवृत्ति
श्री गंगा नगर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. रूप सिदाना का कहना है कि आज के समय में युवाओं में नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है क्योंकि इन नशीली दवाओं के एक साथ कई विकल्प आज बाजार में उपलब्ध हैं जो कि न सिर्फ बहुत सस्ते हैं बल्कि जिनका इस्तेमाल भी गैर-कानूनी नहीं है जैसे नशीली दवाओं के ये विकल्प हैं बूप्रेनापिर्फन, एविल, कांपीज, टिडीजेसिक और स्पास्मो प्राक्सिवान जैसी दवांए। हालांकि यह दवाएं पंजीकृत योग्य डॉक्टर के द्वारा ही प्रेस्क्रिप्शन पर विक्रय की जाती है लेकिन डाक्टर के नुस्खे पर सहज ही उपलब्ध भी हो सकती हैं और ये आज तेजी से हेरोइन का विकल्प बनती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मरीज अक्सर खुद ही उपरोक्त दवाओं को डाक्टर की सलाह के बिना ही लेते रहते हैं और डाक्टर की पर्ची के बिना आसानी से इन्हे हासिल करते रहते हैं। एक बार इन दवाओं के आदी हो जाने के बाद उनके लिये इनका सेवन बंद करना असंभव सा हो जाता है। क्योंकि यह उनकी जिंदगी का एडिक्शन यानि की दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है। इनका सेवन बंद करने पर अनिद्रा, बेचैनी, जवान लड़खड़ाना, हाथ कंपकपाना मिचलाना, उल्टी आना, पाचन खराब होना, आसामान्य व्यवहार होना या पागल होना तक जैसे लक्षण उभर कर सामने आते हैं। गोलियों से ज्यादा सुइयों के जरिये नशा करने वाले लोगों के बढ़ते आंकड़े तो और भी ज्यादा चिंता का विषय है। सबसे बुरी स्थिति पूर्वोतर राज्यों की है जहां ऐसे नशेड़ियों की संख्या कुल नशेड़ियों की 80 फीसदी है। वास्तव में यूप्रेनापिर्फन जैसी इन दवाओं का उपयोग कुछ वर्ष पहले तक हेरोइन की आदत से पीछा छुड़ाने के लिये किया जाता था मादक द्रव्य और मनोत्तेजक पदार्थ अधिनयम ‘एन डी पी एस’ 1985 के द्वारा देश में गांजा, चरस और हेरोइन जैसे मादक पदार्थों पर लगाए गए प्रतिबंध ने भी नशेड़ियों को इन सस्ती डाक्टरी नुस्खे वाली दवाओं का इस्तेमाल करने के लिये प्रेरित किया।
संपर्क सूत्र- डॉ. रूप सिदाना मो 9414087359