बढ़ता सेल्फ मेडिकेशन प्रचलन – कई बीमारियों की जड़
बढ़ता सेल्फ मेडिकेशन प्रचलन – कई बीमारियों की जड़
आजकल लोग सेल्फ मेडिकेशन लेने लगे है।
यह अच्छी आदत नहीं है। डॉक्टर भी बीमार पड़ने पर दूसरे संबंधित रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेता है। आमतौर पर छोटी-मोटी शारीरिक परेशानी जैसे कि बुखार, पेट दर्द, उलटी, दस्त, सर्दी-जुकाम आदि होने पर लोग खुद या फिर किसी से पूछकर दवा ले लेते हैं। यहां तक कि लक्षण बताकर दवा की दुकान से भी दवा लेकर खा लेते हैं।
बुखार के लिए पैरासिटामोल, दर्द के लिए कोई पेनकिलर, सर्दी-जुकाम के लिए ऐंटीबायॉटिक दवाओं का इस्तेमाल भारत में बहुत आम है।
आपको मालूम होना चाहिए सामान्य-सी नजर आने वाली बीमारी के पीछे ऐसे कई ऐसे कारण हो सकते हैं जिनके बारे में आप अनभिज्ञ होते है।
जैसे सरदर्द की शिकायत थकावट व तनाव की वजह से भी हो सकती है, लेकिन यह ब्रेन हैमरेज से पहले की स्थिति भी हो सकता है।
सीने में दर्द का हमेशा यह मतलब नहीं होता कि हार्ट अटैक ही होगा, यह गैस की परेशानी भी हो सकती है। पेट में दर्द कुछ गलत खाने-पीने से हो सकता है तो किडनी की समस्या होने पर भी हो सकता है या फिर पथरी की स्थिति में भी।
ऐसे में समस्या की वजह जाने बगैर दवा के इस्तेमाल से फायदे की बजाए नुकसान की आशंका रहती है। परेशानी किस वजह से हो रही है, इसके बारे में सही तरीके से एक डॉक्टर ही बता सकता है इसलिए सबसे बेहतर है कि परेशानी चाहे छोटी ही क्यों न हो, हमेशा डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें। लेकिन ध्यान रखें डॉक्टर भी क्वॉलिफाइड होना चाहिए।
संभलकर लेंनी चाहिए दवाइयां, नुकसान अनेक हैं
सर्दी-जुकाम या दस्त या जख्मों की स्थिति में डॉक्टर से बिना पूछे ऐंटीबायॉटिक न लें और डॉक्टर ने जितनी डोज़ बताई है, उतनी ही लें। न उससे ज्यादा, न कम। कोर्स बीच में छोड़ देने यानी पूरी डोज़ न लेने पर भी ऐंटीबायॉटिक शरीर के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकती है। इससे आपकी इम्यूनिटी कम हो सकती है। शरीर के लिए उपयोगी बैक्टीरिया काम करना बंद कर सकते हैं। यहां एक बात ध्यान देने लायक है कि बॉडी की अपनी भी इम्यूनिटी होती है। इसलिए जब बीमार पड़ें तो फौरन ही ऐंटीबायॉटिक लेना शुरू न करें। शुरू में इंफेक्शन से लड़ने के लिए शरीर पर भरोसा करना चाहिए। जब शरीर इंफेक्शन से छुटकारा लेने में खुद सफल न हो पाए, तब ही डॉक्टर ऐंटीबायॉटिक की सलाह देते है।
जब हम बार-बार ऐंटीबायॉटिक खाते हैं तो कई बैक्टीरिया इन ऐंटीबायॉटिक्स के लिए रेजिस्टेंस डिवेलर कर लेते हैं। फिर इन पर इस ऐंटीबायॉटिक का असर नहीं होता।
– ऐंटीबायॉटिक के अनियंत्रित उपयोग का ही परिणाम है कि एमॉक्सिलिसीन (Amoxicilline) भारत में अब बैक्टीरिया से फैलने वाले बीमारी में प्रभावी नहीं रहा जबकि पश्चिमी देशों में यह आज भी खूब कारगर है। हमारे देश में 40-50 साल पहले तक यह दवा खूब प्रभावी थी। यह तो एक उदाहरण है, कई दूसरी मेडिसिन का भी असर अब कम होने लगा है।
मेडिकल शब्दावली
AC: खाने से पहले,
PC: खाने के बाद
OD: दिन में एक बार
BD/BDS: दिन में दो बार
TD/TDS: दिन में तीन बार
QD/QDS: दिन में चार बार
Tab: टैबलेट
Cap: कैप्सूल
Amp: इंजेक्शन रूप में
Ad Lib: जितनी जरूरत हो, उतना ही लें
G or Gm: ग्राम
Gtt: ड्रॉप्स
Mg: मिलिग्राम
Ml: मिलीलीटर
PO: मुंह से