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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
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शीघ्र ही देश में होंगे 1 लाख 20 हजार डॉक्टर प्रति वर्ष तैयार यानी 5 साल बाद मिलेंगे 6 लाख डॉक्टर

शीघ्र ही देश में होंगे 1 लाख 20 हजार डॉक्टर प्रति वर्ष तैयार

यानी 5 साल बाद मिलेंगे 6 लाख डॉक्टर

भारत में वर्तमान में 1.10 लाख यूजी मेडिकल (एमबीबीएस) सीटें हैं। अब इन सीटों में 10 हजार सीट्स की बढ़ोतरी होने वाली है। देश में 112 नए मेडिकल कॉलेज कतार में हैं और 58 पुराने कॉलेज में भी सीटें बढ़ेंगी।

नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) के अधीन कार्यरत मेडिकल एसेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) ने 112 मेडिकल संस्थानों की सूची जारी की गई है, जिन्होंने मेडिकल अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम (एमबीबीएस) शुरू करने के लिए आवेदन किया था। एमबीबीएस कोर्स शुरू करने के लिए कमीशन के स्थापित मानकों पर खरा उतरने के बाद इन सभी संस्थानों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से एडमिशन की अनुमति मिलेगी।

कोटा में प्रस्तावित सुधा मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. आर के अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने 150 सीट्स का इनटेक रखा है और इसी के अनुसार मेडिकल कॉलेज की तैयारी की है। उन्होंने कहा कि अभी एनएमसी का इंस्पेक्शन मेडिकल कॉलेज में बाकी है, उसके बाद ही एडमिशन लेने की स्वीकृति मिलेगी, लेकिन साल 2024-25 के सेशन के लिए एनएमसी और हम पूरी तरह से तैयार हैं। हमने जगपुरा में इसके लिए अस्पताल और मेडिकल कॉलेज दोनों की बिल्डिंग भी तैयार कर ली है।

कमीशन के जारी की गई 112 नए मेडिकल संस्थानों की सूची में राजस्थान में 11 नए मेडिकल कॉलेज प्रस्तावित हैं। इनमें छह सरकारी और पांच निजी हैं। वहीं, राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, कोटा, बारां, सवाई-माधोपुर, श्रीगंगानगर, झुंझुनू, नागौर व बांसवाडा शहरों के भी गवर्नमेंट और प्राइवेट मेडिकल संस्थानों के नाम हैं। इनमें जयपुर में दो, जोधपुर में दो, कोटा व श्रीगंगानगर में एक-एक मेडिकल कॉलेज प्राइवेट सेक्टर में खुलना प्रस्तावित है। नागौर, सवाई माधोपुर, बारां, झुंझुनू व बांसवाड़ा में एक एक सरकारी मेडिकल कॉलेज प्रस्तावित हैं।

5 साल बाद 6 लाख डॉक्टर को सेवा देना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी यदि सरकार में डॉक्टर को नौकरी नहीं मिली तो चिकित्सा क्षेत्र में भारी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी चिंता का विषय यह है कि कहीं चिकित्सा सेवा न होकर पूरी तरह चिकित्सा पेशा न बन जाए।

 

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