एनीमिया मुक्त भारत बनाने पर आयोजित की संगोष्ठी
एनीमिया मुक्त भारत बनाने पर आयोजित की संगोष्ठी
जयपुर दिनांक 2 मार्च 2024
नेशनल एसोसिएशन ऑफ रिप्रोडैक्टिव एण्ड चाइल्ड हेल्थ ऑफ इण्डिया नारची की राजस्थान शाखा द्वारा राष्ट्रीय कार्यक्रम एनिमिया मुक्त भारत तथा सवाईकल कैंसर प्रीवेनशन पर सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन राजस्थान अस्पताल में किया गया। कार्यक्रम की आयोजन अध्यक्ष स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ वीणा आचार्य ने बताया कि कार्यक्रम में 150 से अधिक मेडिकल, पैरामेडिकल व चिकित्सको ने भाग लिया।
डॉ आचार्य ने कार्यक्रम की जानकारी दी कि 10 वैज्ञानिक सत्रो का आयोजन किया गया जिसमें 35 से अधिक चिकित्सको ने सहभागिता करते हुए अन्य प्रतिभागियो को एनिमिया मुक्त भारत विषय पर प्रशिक्षित किया।
डॉ वीणा आचार्य ने भारत में एनीमिया को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बताया। आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के परिणामस्वरूप बच्चों में संज्ञानात्मक और विकास ख़राब होता है और वयस्कों में कार्य क्षमता में कमी आती है।
उदघाटन सत्र में बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईएमए के पूर्व अध्यक्ष तथा जोधपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ एस.एस. अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को एनीमिया मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। एनीमिया हमारे भारत में वर्षों से गंभीर समस्या है। महिलाओं में इसका खतरा अधिक होता है।
दिल्ली से आई डॉ मन्जु पुरी जो कि एनिमिया मुक्त भारत के राष्ट्रीय कार्यक्रम की संयोजक है उन्होने कार्यक्रम के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि एनीमिया मुक्त भारत रणनीति छह लाभार्थियों आयु वर्ग – बच्चों (6-59 महीने), बच्चों (5-9 वर्ष), किशोरों (10-19 वर्ष), गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और प्रजनन आयु समूह की महिलाओं में एनीमिया को कम करने के लिए लागू की गई है। (15-49 वर्ष) मजबूत संस्थागत तंत्र के माध्यम से छह हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन के माध्यम से किया जा रहा है।
अजमेर के डॉ अजय शर्मा ने मौलिक तरीको से बच्चो में तथा दिल्ली की अनिता सबरवाल ने किशोरो में रक्त अल्पता के बारे में प्रशिक्षित किया तथा आहार विशेषज्ञ डाईटिसियन नेहा दुआ ने आहार द्वारा रक्त अल्पता के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि खान पान में विभिन्न रंगो के फल एवं सब्जिया सम्मिलित करनी चाहिए।
वहीं दिल्ली की डॉ अचला बत्रा ने गर्भावस्था के दौरान तथा अलवर की डॉ रिचा गुप्ता ने भिन्न भिन्न स्तरो पर रक्त अल्पता के बारे में व्याखान दिये। इस अवसर पर डॉ रिचा गुप्ता को अच्छा कार्य करने के फलस्वरूप स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया।
सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के डॉ सुधीर मेहता ने जन साधारण में लोह अल्पता से एनिमिया के बारे में बताया तथा जानकारी दी कि यदि किसी व्यक्ति को अखाद्यय वस्तुओ जो कि साधारणतया खाने में नही आती ऐसी चीजो को खाने की इच्छा हो तो रक्त अल्पता होने की संभावना काफी हो जाती है।
डॉ मेहता ने यह भी बताया कि एक शोध कार्य में यह भी मालूम पडा है कि किसी को टमाटर ज्यादा खाने की इच्छा तो उसे भी ऐनिमिया की शिकायत हो सकती है।
जयपुर की डॉ तरूछाया ने भिन्न भिन्न प्रकार के रक्त अल्पता के बारे में एवं डॉ दीपा मंसद ने गर्भवती माताओ एवं शिशुओ में होने वाले रोगो के बारे में बतलाया।
कार्यक्रम के दौरान एक पैनल डिसकसन का भी आयोजन किया गया जिसमें गर्भवस्था के दौरान गर्भवती माता एवं गर्भस्थ शिशु में रक्त अल्पता के बारे में चर्चा हुई जिसमें डॉ पारूल शर्मा, डॉ सोनाली शर्मा डॉ लका सुलतान डॉ प्रीती शर्मा एव डॉ विनिता गोखरू ने भाग लिया।
राजस्थान अस्पताल के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ तनुज राजवंशी ने बताया कि होम्योपैथी में भी बहुत कारगर दवाये है जैसे फैरम मैट, फैरम फोस एवं लैशिथिन आदि लेकिन इनका उपयोग किसी प्रशिक्षित होम्योपैथ चिकित्सक की निगरानी में लेना चाहिए।
इस अवसर पर डॉ विजय सारास्वत ने अतिथियो को स्मृति चिन्ह भेट किये।
न्यूज स्त्रोत संपर्क सूत्र -डॉ दिनेश माथुर9 829061176