ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगो ने दिया तीन जनों का नया जीवन
सभी को अंगदान के महत्व को समझना होगा। आत्मा ही सब कुछ है शरीर नश्वर है मिट्टी है तो फिर इससे moh क्यों ?
ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगो ने दिया तीन जनों का नया जीवन
कहा जाता था कि एक जीवित व्यक्ति हर किसी की सहायता के लिए काम आ सकता है इसलिए कहते थे जीते जी लोगों का भला करके चलो लेकिन मेडिकल साइंस की तरक्की के चलते मृत व्यक्ति भी मृत्यु की जंग से जूझ रहे लोगों को जान बचाने में सक्षम हो रहे हैं।
एस आर जी हॉस्पिटल एंड झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में 21 फरवरी 2024 को भर्ती हुए 39 वर्षीय भूरिया जी ब्रेन डेड घोषित कर दिए गए थे।
भूरिया जी को ब्रेन डेड घोषित करने के पश्चात उनकी धर्मपत्नी श्रीमती संजू, माताजी व भाई के द्वारा अस्पताल प्रशासन व ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की समझाइश के बाद अंगदान करने का निर्णय लिया।
उनकी सहमति के बाद राजस्थान में कार्यरत स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन राजस्थान के माध्यम से एक किडनी व लिवर सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर को , एक किडनी को एम्स जोधपुर आवंटित किया गया।
राजस्थान ट्रैफिक पुलिस के प्रबंधन से सभी अंगों (दो किडनियां व लिवर) को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से झालावाड़ मेडिकल कॉलेज से सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर व एम्स जोधपुर पहुंचवाया गया। प्रशासन द्वारा 4 एम्बुलेंस के द्वारा ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था भी की गई।
आंकड़ों के अनुसार यह राजस्थान प्रदेश का 58 वां अंगदान है।
अंगदाता भूरिया जी के गाँव किटिया में प्रशासन द्वारा ससम्मान अंतिम संस्कार किया जाएगा।
यह प्रदेश का पहला नॉन ट्रांसप्लांट ऑर्गन रिट्रीवल सेंटर है जहां पर ब्रेन डेथ घोषित करके परिवार की सहमति के बाद 3 अंगों को 3 जनों के जीवन बचाने के लिए प्रत्यारोपित किया गया।
गौर तलब है कि हाल ही में राजस्थान सरकार ने एस आर जी हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज झालावाड़ को अंगदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नॉन ट्रांसप्लांट ऑर्गन रेट्रीवल सेन्टर बनाया था।
ब्रेन डेथ यानी मस्तिष्क का मरना इस स्थिति में व्यक्ति का मस्तिष्क बिल्कुल काम करना बंद कर देता है वह दिल की धड़कन नहीं ले सकता सांस नहीं ले सकता लेकिन मेडिकल साइंस कहती है कि इन ब्रेन डेथ व्यक्तियों का शरीर कुछ समय तक जीवित रहता है इसलिए शरीर के कुछ अंग अन्य मरीज को प्रत्यारोपित कर उनके जीवन को बचाने में काम आ सकते है।