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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
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ISVIR 2024 इंटरनेशनल रेडियोलॉजी कॉन्फ्रेंस से कईं रोगों के इलाज को मिलेगी नई दिशा

इंडियन सोसायटी ऑफ वेस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (आईएसवीआईआर) की 24वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस जयपुर में 11,12,13,14 जनवरी 2024

इंडियन सोसायटी ऑफ वेस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (आईएसवीआईआर) की 24वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस जयपुर में 11,12,13,14 जनवरी 2024

दिल्ली रोड स्थित एक प्रसिद्ध होटल में चार दिवसीय कॉन्फ्रेंस में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी द्वारा एडवांस तकनीक से होने वाले विभिन्न रोगों के इलाज के बारे में जानकारी दी गई। इस कॉन्फ्रेंस में विशेष तौर पर नसों को खोलकर इलाज करने की तकनीक पर चर्चा हुई। संयोजक डॉ. मितेश गुप्ता ने बताया कि इसमें 23 देशों के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट ने हिस्सा लिया।

लकवे का इलाज भी 3 से 4 घंटे में संभव

इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक से 0.8 एमएम साइज की नसों तक का भी एंजियोग्राफी से उपचार संभव

आई एस वी आई आर के सचिव डॉ अजीत यादव ने बताया कि रेडियोलॉजी ट्रीटमेंट एक नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट, जिसकी सहायता से बिना चीर-फाड़ के बंद हुई नसें खोली जा सकती है।

 

इस कांफ्रेंस में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मितेश गुप्ता ने बताया कि कुछ साल पहले तक ब्रेन डेड, लिवर कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और फाइब्रॉइड जैसी बीमारियों में सर्जरी ही एक मात्र इलाज होता था, लेकिन इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक जो कि एक नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट है से बिना किसी चीर-फाड़ के शरीर की बंद नसों को खोला जा सकता है।

आई एस वी आई आर के संयुक्त सचिव डॉ उज्ज्वल गोरसी ने बताया कि यह तकनीक देश में नई है। इसलिए थोड़ी महंगी जरूर है, लेकिन दवा और अन्य खर्चों के मुकाबले सस्ती व अत्यंत कारगर है। इस एडवांस तकनीक की सहायता से लकवे का इलाज तीन से चार घंटे में ही किया जा सकता है। इसकी खूबी के बारे में बताएं तो पिन हॉल पद्धति (सूई के बराबर का छेद) के जरिए केवल एक वायर से क्लॉट को बाहर निकाला जाता है। इसमें दिल के अलावा सभी पॉइंट्स जैसे पैर, हाथ, दिमाग, थायराइड की गांठ, ट्यूमर आदि में एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) दिए बगैर उपचार किया जा सकता है और मरीज को अगले ही दिन डिस्चार्ज किया जा सकता है।

इस कॉन्फ्रेंस के अवसर पर जयपुर के डॉ निखिल बंसल ने कहा कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक के साइड इफेक्ट भी काफी कम है और दवा को निश्चित पॉइंट पर टारगेट कर प्रवेश कराया जाता है। इस मेडिकल प्रोसेस से डेमेज कम से कम और रिकवरी ज्यादा से ज्यादा होती है।

डॉ. बंसल ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी से मिनिमम इन्विजिबल ट्रीटमेंट के जरिए 10- 12 सेमी. का टुकड़ा भी निकाला जाता है।

इस कांफ्रेंस में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ट्रीटमेंट, प्रोटोकॉल, टिपिकल केसेज और एडवांस ट्रीटमेंट टेक्नोलॉजी पर बात होगी। पहले दिन के सेशंस में एम्बोलिजेशन, एम्बोलोथैरेपी, एडवांस एम्बोलिजेशन, एमएसके एम्बोलिजेशन, पोर्टल इंटरवेंनशन,नेशनल-इंटरनेशनल ओरेशन आदि टॉपिक्स पर चर्चा और पैनल डिस्कशन हुआ। पहले दिन डॉ. अनिल काशी, डॉ.उज्ज्वल गोसाई, डॉ. मेक्सिम इतकिन, डॉ.अरी इसाकॉन व डॉ.एलेक्स पाविदाफा सहित अन्य डॉक्टर्स के सेशन हुए।

इस कांफ्रेंस में यूएसए के डॉ. संजीव कालवा लीवर कैंसर के इलाज में इस तकनीक द्वारा इलाज की भूमिका पर जानकारी देंगे।

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