दवा दुकानों पर होगी फार्मासिस्टों की जांच। राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में हुए फर्जीवाड़े के बाद एक्शन
सहायक औषधि नियंत्रक संजय सिंघल ने विभाग के निर्देशानुसार अशोकनगर थाने में कराई एफ आई आर में शिकायत दर्ज की गई। फर्जी डिग्री में विद्यार्थी को अधिक नंबर दर्शाए गए ताकि फार्मासिस्ट भर्ती में मेरिट में ऊपर आ जाएं।
चौंकाने वाले आंकड़े
फार्मेसी काउंसिल में 2017 से 2021 तक 11272 पंजीकरण हुए वहीं केवल 2022 में ही राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में 11854 पंजीकरण हो गए।
केवल 1 साल में इतने रजिस्ट्रेशन हुए जितने कि 5 साल में भी नहीं हुए।
और तो और चौंकाने वाला विषय यह भी गौर फरमाएं कि जिन अभ्यर्थियों का फर्जी रजिस्ट्रेशन सामने आया वह 101 है और 44 ही पंजीकरण रद्द हुए हैं।
आंकड़ों पर नजर फरमाए
राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में 2021 में 3295 पंजीकरण हुए और 2022 में 11854 पंजीकरण हो गए।
सूत्र कहते हैं कि स्टेट ओपन काउंसिल और नेशनल यूनिवर्सिटी आफ ओपन स्कूलिंग की फर्जी अंक तालिकाओं के सहारे यह रजिस्ट्रेशन हुए और बाहरी राज्यों से डिग्री डिप्लोमा पेश करने वालों की सही तरीके से जांच नहीं हुई।
एफ आई आर में यह भी कहा गया है कि इस 5 साल में 18000 से अधिक पंजीकरण फर्जी होने का संदेह है इन पंजीकरण में भारी रिश्वत ली गई रिश्वत के रूप में 1 लाख से 25 लाख तक की राशि ली गई।
कुल मिलाकर 500 करोड़ से अधिक की काली कमाई पंजीकरण करने वालों ने की।
राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में हो रहे फर्जीवाड़े को दैनिक भास्कर ने मुद्दा बनाया था मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए चिकित्सा विभाग को एक्शन लेने के लिए कहा है एक्शन के क्रम में सहायक औषधि नियंत्रक संजय सिंघल ने काउंसिल के तत्कालीन रजिस्ट्रार नवीन सांघी और अन्य के खिलाफ अशोक नगर थाने में एफ आई आर कराई। इसके अनुसार राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर पंजीकरण किया गया बताया अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन कराया फर्जी मेल आईडी के जरिए ऑनलाइन सत्यापन कर लिया। एफ आई आर में काउंसिल के अध्यक्ष महावीर सोगानी पर भी आरोप लगाया कि वह भी फार्मासिस्ट के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर सह हस्ताक्षरी है उन्होंने पद का दुरुपयोग कर दस्तावेजों के जरिए फार्मासिस्टों के फर्जी रजिस्ट्रेशन में साथ दिया जिससे सरकारी फार्मासिस्ट की भर्ती प्रक्रिया बाधित हुई।
राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में दलालों ने किया फर्जीवाड़ा
मामला उजागर, 100 से ज्यादा ऐसे पंजीकरण जिनके डॉक्यूमेंट्स फर्जी
फार्मेसी काउंसिल में फार्मासिस्टों के पंजीकरण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था।
औषधि नियंत्रक प्रथम अजय फाटक के अनुसार फार्मासिस्टों के फर्जी रजिस्ट्रेशन को लेकर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय को शिकायतें मिली थी। शिकायतों के आधार पर दस्तावेजों की जांच कराई गई तो उसमें से 101 फार्मासिस्टों की एजुकेशनल डिग्री डिप्लोमा फर्जी पाए गए। जिन यूनिवर्सिटी के नाम से इन्होंने डॉक्यूमेंट्स लगाए, उस यूनिवर्सिटी को ये डिग्री डिप्लोमा भेजकर जानकारी मांगी गई तो पता चला उनके यहां से ये डिग्री डिप्लोमा जारी नहीं हुए।
आम लोगों के साथ जन स्वास्थ्य खिलवाड़ न हो इसके लिए चिकित्सा विभाग और औषधि नियंत्रण विभाग को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट की जांच की जाए कहीं उनके द्वारा केमिस्ट शॉप चलाई जा रही हो और दवाइयां का वितरण किया जा रहा हो।
निम्न विश्वविद्यालय के डिग्री डिप्लोमा फर्जी पाए गए
YBN यूनिवर्सिटी रांची- 45 फार्मासिस्ट
IEC यूनिवर्सिटी सोलन, हिमाचल प्रदेश – 14 फार्मासिस्ट
स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी सागर मध्यप्रदेश – 10 फार्मासिस्ट
IFTM यूनिवर्सिटी मुरादाबाद यूपी – 22 फार्मासिस्ट
बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन दिखाया – 10 फार्मासिस्ट
तत्कालीन रजिस्ट्रार नवीन सांघी का कहना है कि सभी फार्मासिस्टों की एप्लीकेशन ऑनलाइन आई थी और उनके दस्तावेज भी ऑनलाइन आते थे उनके दस्तावेजों के संबंधित संस्थान से सत्यापन होने के बाद ही पंजीकरण प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती थी और काउंसिल ने यह प्रक्रिया पूरी अपनाई है। फर्जी दस्तावेजों की जहां तक बात है हमारे कार्यकाल से पहले के भी कईं पंजीकरण है।
जिन 101 फर्जी पंजीकरणों की बात की जा रही है उनमें से 44 के तो हमने पंजीयन नहीं किए। आज तक भी नहीं हुए। अन्य पंजीकरण मेरे कार्यकाल से पहले के हैं उधर महावीर सोगानी फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष का कहना है कि जो फर्जी फार्मासिस्टों की 101 की सूची विभाग ने हमें दी उनमें से 44 के पंजीकरण हमने नहीं किए हमने पूरी प्रक्रिया न्याय संगत अपना कर ही काम किया है।