ऐसे कैसे निपटेंगे भुखमरी की समस्या से इसके लिए सोच बदलनी होगी
ऐसे कैसे निपटेंगे भुखमरी की समस्या से
इसके लिए सोच बदलनी होगी
सरकारी अनुदान से योजना संचालित है कोई भूखा न सोए, इंदिरा रसोई भी इसी क्रम में निर्धनों को भरपेट भोजन प्रदान कर रही है तो समाज सेवी भी पीछे नहीं रहते।
सोच बदलनी होगी …..
दूसरी तरफ भोजन की बर्बादी भी खूब की जा रही है। हमारे यहां शादी विवाह, छठी, मुंडन, विभिन्न पर्वों एवं त्योहारों आदि पर सहभोज का आयोजन किया जाता है। इनमें भोजन की बहुत ज्यादा बर्बादी होती है। पिछले दो-तीन दशकों से बुफे सिस्टम एवं खाने के पहले परोसे जाने वाले स्टटर सिस्टम ने भोजन की बर्बादी की।
भारत में विवाह आदि समारोहों में खाने की बेतहाशा बर्बादी होती है।
*सोचो*
भोजन की इस तरह की बर्बादी को रोकने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने दिसम्बर 2017 में सेव फूड, शेयर फूड, जॉय फूड के नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। इसका मुख्य उद्देश्य देश में भोजन की बर्बादी को रोकना एवं उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने के साथ-साथ लोगों में भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति जागरूकता पैदा करना था।
*चिंता का विषय :*
इसके बावजूद भोजन की बर्बादी नहीं रुक पाई ।
वैसे तो भारत विश्व में खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन यह भी सच है कि हमारे देश में प्रतिवर्ष करोड़ों टन अनाज जगह की कमी के कारण बर्बाद हो जाता है। आज भी भारत में लाखों टन अनाज खुले में सड़ रहा है और यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। यही वजह है कि देश में छह साल से छोटे बच्चों में से 47 फीसदी बच्चे आज कुपोषण के शिकार हैं।
*सोचना होगा* :
इस बात का ध्यान रखना होगा कि भुखमरी एवं कुपोषण का रिश्ता गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी के साथ भोजन की बर्बादी से भी जुड़ा है।
जरूरत है हमें अपनी सोच बदलने की।
संपर्क सूत्र : डॉक्टर मानसिंह भावरिया
जिला अध्यक्ष नीमकाथाना (IT प्रकोष्ठ) राजस्थान जाट महासभा
मो. 9672777737