यदि बलगम और खांसी ठीक ना हो रही हो तो है घातक
प्रसिद्ध अस्थमा एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद दाधीच ने बताया कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की बीमारी है। इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं। यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस है जिसमें मरीज की एनर्जी कम हो जाती है, वह कुछ कदम चलकर ही थक जाता है। सांस नली में नाक से फेफड़े के बीच सूजन के कारण ऑक्सीजन की सप्लाई घट जाती है। इसका असर अन्य अंगों पर भी पड़ता है।
सीओपीडी के लक्षण
दो महीने तक लगातार बलगम की तकलीफ रहती है। और खांसी के सामान्य सिरप और दवाएं असर नहीं करती हैं। अधिक बलगम वाली खांसी की समस्या रहना, सांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक श्रम करने पर सांस – लेने में घरघराहट और सीने में जकड़न होना आदि इसके लक्षण हैं।
मुख्य कारण
सीओपीडी का प्रमुख कारण धूम्रपान है। चूल्हे व फैक्ट्रियों से
निकलने वाला धुआं भी वजह बनता है। सांस के साथ अंदर जाने वाले कीटनाशक व पेंट में इस्तेमाल होने वाले रसायन और टीबी की पुरानी बीमारी अहम वजह हैं।
जांचें
स्पाइरोमेट्री से फेफड़ों की ताकत जांची जाती हैं जबकि रक्त या बलगम टैस्ट के साथ छाती में संक्रमण का पता लगाने के लिए एक्स-रे करते हैं। कई बार जरूरत को स्थिति में सीटी स्कैन या एमआरआई जांच भी कराते हैं।
क्या है इसका इलाज
अधिकतर मरीजों को इंहेलर दिया जाता है। यह काफी कारगर होता है। सांस लेने में अधिक परेशानी होने पर मरीज को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है। इसके अलावा मरीज के लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवाइयां दी जाती हैं। प्राणायाम और योग अधिक प्रभावी
सीओपीडी में योग और प्राणायाम संजीवनी बूटी की तरह काम करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति इन्हें नियमित करता है तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है। सीओपीडी के शुरुआती चरण में प्राणायाम करने से इसकी गंभीरता बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
सावधानी
वजन बढ़ने से रोकें और धूम्रपान न करें। वायु प्रदूषण वाली जगहों पर न जाएं। अगर सीओपीडी से परेशान हैं तो दवाएं समय पर और नियमित रूप से लें। डॉक्टर से सलाह लेकर ही एक्सरसाइज और योग करें।
सम्पर्क सूत्र डॉ प्रमोद दाधीच मो 9829083879