late in pregnancy : आईवीएफ तकनीक से मां बनना संभव : डॉ ममता गुप्ता
मेडिकल साइंस की तरक्की के चलते संतान सुख के लिए समाधान है उपलब्ध
सृष्टि हॉस्पिटल एवं आईवीएफ सेंटर की वरिष्ठ गाइनेकोलॉजिस्ट आई वी एफ स्पेशलिस्ट डॉ ममता गुप्ता का कहना है कि महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने के वैसे तो अनेक कारण होते हैं लेकिन कुछ प्रमुख कारणो में आजकल अहम कारण बनता जा रहा है देरी से शादी करना। देरी से शादी करने पर late of pregnancy के कारण इनफर्टिलिटी की संभावना बढ़ जाती है-
महिलाओं में 30 की उम्र के आसपास फर्टिलिटी कम होने लगती है। 35 साल की उम्र के बाद तो यह और अधिक तेजी से घटने लगती है। मेडिकल साइंस के अनुसार जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती है, उसके गर्भवती होने की संभावना घटती जाती है और इनफर्टिलिटी होने की संभावना बढ़ती जाती है।
इसके अलावा महिलाओं की लाइफस्टाइल में भी बदलाव देखने को मिला है उनकी तनाव भरी जिंदगी और स्लीपिंग हैबिट में परिवर्तन के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या देखने को मिलती है। आजकल महिलाएं जॉब भी करने लगी हैं जिसकी वजह से हस्बैंड वाइफ की अलग-अलग स्थान पर नौकरी होने की वजह भी समस्या का कारण बनती है।
उन्होंने कहा कि 35 की उम्र के बाद 50% से अधिक महिलाओं को प्रथम बार गर्भधारण करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। साथ ही वे स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाएगी यह भी एक बड़ी चुनौती होगी।
उन्होंने कहा कि इनफर्टिलिटी में पुरुष भी अहम भूमिका निभाते हैं। पुरुषों में एनवायरमेंटल कारण व तंबाकू और शराब का सेवन, लाइफस्टाइल डिजीज और डायबिटीज भी उनके स्पर्म की क्वालिटी को गिराते हैं और स्पर्म की संख्या भी प्रभावित होती है।
डॉ ममता गुप्ता ने कहा कि यदि कोई दंपति को निसंतानता जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो घबराने की जरूरत नहीं। आजकल मेडिकल साइंस में आईवीएफ तकनीक के चलते इस समस्या का समाधान होने लगा है। आईवीएफ तकनीक के अंतर्गत आईसीएसआई और आईसीएमआई एडवांस तकनीक है जिसमें पुरुषों के लो स्पर्म होने के बावजूद भी अच्छे परिणाम मिल जाते हैं और महिलाओं में अंडे की क्वालिटी का उपचार कर इस तकनीक से गर्भधारण कराया जा सकता है