पहली बार लिवर की बड़ी गाँठ का 88 साल की महिला का दूरबीन द्वारा ऑपरेशन
एस एम एस में पहली बार लिवर की बड़ी गाँठ का 88 साल की उम्र में दूरबीन द्वारा ऑपरेशन
राजस्थान के सबसे बड़े हॉस्पिटल एस एम एस के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों द्वारा लिवर से 176 * 141 * 128 एम.एम की गॉंठ व पित्त की थैली बिना चीर फाड़ के लैप्रोस्कोपिक तकनीक से निकाली गई। अस्पताल के अधीक्षक डॉ अचल शर्मा द्वारा ब्रीफ में बताया गया कि अलवर निवासी मरीज़ श्रीमति मूर्तिदेवी, उम्र 88 वर्ष, गत 3 वर्ष से पेट की गाँठ से पीड़ित थी। मरीज़ को ऑपरेशन से पहले चलने फिरने में परेशानी होती थी। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी लिवर की गाँठ को सामान्य तौर पर बड़े चीरे से ही ऑपरेशन द्वारा निकाला जाता है लेकिन
एस एम एस के सर्जरी विभाग के डॉ रिचा जैन, डॉ हनुमान खोजा एवं डॉ फ़ारूख़ ख़ान के निर्देशन में डॉ गरिमा अग्रवाल, डॉ नरेंद्र शर्मा, डॉ सारांश, डॉ विनोद , डॉ सिंधु शर्मा, डॉ राजेंद्र यादव, डॉ साकेत दाधीच, डॉ डी. वी. आर हर्षवर्धन द्वारा इनका ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक तकनीक से किया गया।
ऑपरेशन में 12*15 cm के पेट के चीरे की बजाय दूरबीन के द्वारा गाँठ को निकाला गया, जिससे बहुत ही कम रक्तस्त्राव हुआ व मरीज़ जल्द ही ठीक होकर घर जा सकती है। पूरे भारत में संभवतया 88 साल की उम्र के मरीज के लिवर की गांठ का दूरबीन द्वारा यह पहला केस है ।
एसएमएस सर्जरी विभाग के डॉक्टर्स ने यह आपरेशन कर के इतिहास बनाया है। मरीज़ की सभी जाँचो में लिवर की गाँठ के बड़े आकार के कारण पित्त की थेली नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन ऑपरेशन के दौरान जब गाँठ में से पानी निकाला गया तो गाँठ की आगे की झिल्ली में चमगादड़ के पंख की तरह फैल कर पित्त की थेली चिपकी हुई पाई गई। इस तरह की असामान्य व जटिल शरीर रचना में दूरबीन से ऑपरेशन के लिए अत्यधिक कुशलता की आवश्यकता थी, जो कि
डॉ रिचा जैन व उनकी टीम ने बख़ूबी दिखाई। ऑपरेशन के दौरान मरीज़ के लिवर को भी कोई नुक़सान होने से पूरी तरह बचाया गया। 88 वर्ष की उम्र में दूरबीन तकनीकी के कारण ऑपरेशन के बाद मरीज़ पुनः स्वस्थ है। यहाँ ऑपरेशन डॉक्टर सुनील चौहान , डॉक्टर कंचन चौहान, डॉक्टर मनोज सोनी एवं नर्सिंग स्टाफ़ के सहयोग से सफल रहा। ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना तहत नि:शुल्क किया गया।