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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
राजस्थानशासन प्रशासन

सहकारी उपभोक्ता दवा भंडार को चाहिए सहायता

200 करोड़ का भुगतान अटका

सहकारी उपभोक्ता दवा भंडार को चाहिए सहायता
200 करोड़ का भुगतान अटका, कर्जे में डूबा,
– मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों पर ही 11 करोड़ रुपए बकाया
– आरजीएचएस के 17 करोड़ और बकाया हुए
जयपुर, चुनावी साल में राजस्थान सरकार ने प्रदेशवासियों के लिए बहुत सी लुभावनी योजनाओं की घोषणायें की है परन्तु उचित व्यवस्था के अभाव में इनका पूरा लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा हैं। ऐसी ही एक योजना चिरंजीवी और निशुल्क
दवा स्कीम है। राजस्थान में नि:शुल्क दवाइयों का सबसे बड़ा बोझ सहकारी उपभोक्ता भण्डारों के मेडिकल स्टोर पर है। प्रदेश में भण्डार के लिए मेडिकल स्टोर पर आम उपभोक्ताओं की निर्भरता है। राज्य सरकार भण्डार को 10 प्रतिशत कमीशन देना चाहती है जबकि भण्डार 15 प्रतिशत पर अड़े हैं। जिस कारण निशुल्क दवा वितरण का कार्यक्रम बुरी तरह से प्रभावित रहा क्योकि इसी कारण पूरे प्रदेश में करीब 200 करोड़ का भुगतान अटका हुआ है। यही नहीं सरकारी अस्पतालों को उधार देते-देते इनके खजाने भी खाली हो गए हैं। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जिले का भी हाल बुरा है। जोधपुर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार के डॉ सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के तीनों बड़े अस्पतालों मथुरादास माथुर, गांधी अस्पताल और उम्मेद अस्पताल पर 11.4 करोड़ रुपए बकाया है। यह राशि लम्बे समय से बकाया है। अस्पताल हर महीने लाखों रुपए की दवाइयां लेते हैं, लेकिन भुगतान औने-पौने करते हैं। हाल ही में तीनों अस्पतालों की हुई मेडिकल रीलिफ सोसायटी (आरएमएस) की बैठक में संभागीय आयुक्त ने इस भुगतान का सेटलमेंट करने के निर्देश दिए थे।
सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को कैशलेस इलाज देने के लिए नवम्बर 2021 में एक और योजना राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) शुरू की गई। करीब डेढ़ साल में ही जोधपुर के सहकारी भण्डार पर दवाइयों के 17 करोड़ रुपए बकाया हो गए हैं। अब दवा विक्रेताओं ने दवाइयों की आपूर्ति भी बंद कर दी है। ऐसे में हालत और भी विकराल बन गए है। चुनाव का समय है कभी भी चुनाव आचार सहिंता लग सकती है।

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