राइट टू हेल्थ बिल अमल में आने वाला है
महत्वपूर्ण संशोधन शामिल करने अत्यंत जरूरी : चिकित्सक दल
राइट टू हेल्थ बिल फाइनल होने में है।
चिकित्सकों ने कहा है कुछ अहम बिंदु शामिल किए जाने जरूरी
जयपुर |
राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पास हुए 4 माह हो चुके हैं। अब इस बिल के नियम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्राइवेट डॉक्टर्स, सेवारत डॉक्टर्स के साथ अंतिम दौर की बैठकें हुई।
राइट टू हेल्थ बिल में आम जनता को प्रावधान किए हैं कि किसी मरीज को कोई भी अस्पताल इलाज से इंकार नहीं कर सकेगा।
लेकिन इसके अंतर्गत डॉक्टरों ने 15 नए संशोधन पकड़ा दिए। जबकि बिल पास करते वक्त डॉक्टरों की मुख्य मांगों को बिल के रूल्स में शामिल करने पर सरकार ने सहमति दे दी थी।
*सेवारत डॉक्टरों ने कहा- कोर्ट केस में डॉक्टर को बीमा कवर मिलना चाहिए*
प्रदेश के 11 हजार से अधिक सेवारत डॉक्टरों ने आरटीएच बिल के रूल्स में सेवारत चिकित्सकों को किसी भी न्यायिक विवाद की स्थिति में राज्य सरकार से बीमा कवर का नियम रखने पर जोर दिया।
सेवारत चिकित्सक संघ अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने जोर दिया कि कि सेवारत चिकित्सकों को इंसेंटिव का प्रावधान करने, राजकीय चिकित्सा संस्थानों में प्रशिक्षित मैनपावर बढ़ाने, नवनियुक्त चिकित्सकों को पूर्व की भांति संचालित इंडक्शन कोर्स को अमल में लाने, आरटीएच की शिकायतों के निस्तारण के लिए राज्य व जिला स्तर पर गठित होने वाले प्राधिकरण में अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ का प्रतिनिधित्व रखने की मांग की।
प्राइवेट डॉक्टरों की 10 मांगें है प्रमुख
आईएमए के राजस्थान स्टेट प्रेसीडेंट डॉ. सुनील चुघ, डॉ. राहुल कट्टा आदि ने एसीएस के सामने रूल्स में उनकी 10 मांगों को शामिल करने पर जोर दिया।
आईएलबीएस दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. शिव सरीन के समक्ष निजी डॉक्टरों ने कहा कि बिल के रूल्स ड्राफ्ट में यदि उनके साथ हुए एमओयू के अलावा रूल जोड़े गए तो स्वीकार्य नहीं होंगे।
1. प्राइवेट अस्पतालों को कितने भी बेड होने पर आरटीएच के दायरे के बाहर रखा जाएगा। इसे रूल्स में क्लियर दर्शाएं।
2. राजस्थान मृत शरीर का सम्मान कानून 2023 की पालना साफ तौर पर रेजीडेंट्स, पब्लिक की जिम्मेदारी मानें।
3. सिंगल विंडो सिस्टम के अलावा कोई भी शिकायत रिड्रेसल सेल का गठन नहीं किया जाए। डॉक्टरों के खिलाफ एक ही शिकायत विंडो रखी जाए।
4. झगड़ालू मरीजों के इलाज से इंकार का अधिकार स्पष्ट उल्लेखित किया जाए।
5. रेफरल एंबुलेंस की जिम्मेदारी केवल सरकारी अफसरों, डॉक्टरों पर लागू हो।
6. आरटीएच में शामिल होने की किसी स्तर पर अनिवार्यता नहीं होगी। चाहे योजनाओं के एम्पैनलमेंट आदि में ही क्यों न हो।
7. एक्ट के प्रोविजन में क्लिनिकल जजमेंट संबंधी इमरजेंसी डॉक्टरों को लेकर आने वाली शिकायत को नहीं माना जाए।
8. रूल्स में शब्द डॉक्टरों की जिम्मेदारी की जगह ड्यूटी आफ डॉक्टर्स किया जाए।
9. ऐसे लोगों को सूचीबद्ध कर कानूनी प्रावधान किए जाएं, जो लोग इरादतन डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ लगातार शिकायत करते रहते हैं।
10. मरीज की एक से अधिक सर्जरी पर उसका 100 प्रतिशत भुगतान सरकार द्वारा किया जाए।
डीबी 1 aug 2023