विशेष
चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
जयपुरजीने का मार्गटेक्नोलॉजीहैल्थ

एंटी एजिंग थेरेपी के जरिए दिखें युवा और आकर्षक

सफलता के लिए अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है आपकी स्मार्टनेस

“एंटी एजिंग” पर आयोजित सेमिनार।

सूरज की धूप और स्ट्रेस दे सकते है आपको अनचाही झुरिया….
आज की आधुनिक भागदौड़ वाली जीवनशैली ने व्यक्ति को समय से पहले बूढ़ा कर दिया है जरूरत है यह समझने की की अमुक व्यक्ति को बुढ़ापा किस वजह से हो रहा है बुढ़ापा समय से पहले आने के विभिन्न कारण होते हैं जिन पर विस्तार से चर्चा की डॉ दीपा सिंह ने।
जयपुर।

अर्थ मरुधर स्किन और कॉस्मेटिक्स द्वारा 21 जुलाई 2023,वैशाली नगर, जयपुर में एक सेमिनार आयोजित कराया गया।
डॉ.दीपा सिंह, वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर क्लिनिकल कॉस्मेटोलॉजी,मेडिकल एस्थेटिक्स रही मुख्य व्यक्ता।

उन्होंने बताया कि एजिंग आमतौर पर दो कारण होते है।

एक्सटर्नल और इंटरनल;

एक्सटर्नल में आता है
यू वी रेडिएशन,
पॉल्यूशन,
टेंपरेचर,
नींद की कमी और

*इंटरनल फैक्टर्स* में आते हैं
हार्मोन्स,
उम्र के साथ कम होता कॉलेजन और स्ट्रेस।

डॉ दीपा सिंह ने कहा कि इनको आप स्वस्थ और बैलेंस्ड खान पान, हाइड्रेशन, विटामिन जैसे की ए, ई, सी के साथ अच्छी नींद जरूरी है।
इसके अलावा ऐसी क्रीम भी आज उपलब्ध है जिनसे त्वचा को समय से पहले बुढ़ापा की ओर अग्रसर होने से रोका जा सकता है।
इसे डर्मेटोलॉजिस्ट द्वारा सुझाई गई क्रीम का इस्तेमाल कर के रोक सकते है।
डॉ दीपा सिंह ने यह भी कहा कि क्रीम की भी अपनी एक सीमा है।
आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि हम नई टेक्नोलॉजी के जरिए स्किन को जवां बनाए रख सकते हैं और चेहरे पर ग्लो मेंटेन कर सकते हैं।
एक वक्त के बाद आपको टेक्नोलॉजी के सहारे एंटी एजिंग थेरेपी करनी पड़ती है।
*एंटी एजिंग थेरेपी में निम्न तकनीक उपलब्ध है*
जिसमे आता है हाइड्रा फेशियल, बोटोक्स, केमिकल पील, फेशियल रिजूवनेशन इत्यादि। ये ट्रीटमेंट आपको अनचाही झुरियो, पिगमेंटेशन,चेहरे पे ढीला पन और भी कई एजिंग के लक्षण को हटाने में मदद करेगा।

*पहले के टाइम में एजिंग 30-35 की उम्र में शुरू होती थी अब टॉक्सिक वातावरण के कारण उम्र घटकर 28 हो गई है – डॉ.दीपा सिंह*

उन्होंने बताया कि पहले के मुताबिक आज के पीढ़ी कम उम्र में ही एजिंग का शिकार हो रही है इसका कारण टॉक्सिक वातावरण और जीवन जीने की गलत शैली है।

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