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मध्यप्रदेश

खरगोन के बड़वाह में सियार का शिकार करने के बाद उसे पकाकर खा गए

बड़वाह। वन्य प्राणियों के शिकार के मामले में वन विभाग बड़वाह ने बड़ी कार्रवाई की है। यहां एक आरोपित ने वन क्षेत्र में न सिर्फ सियार का शिकार किया, बल्कि उसे पकाकार खा भी लिया। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उसने पड़ोसियों को भी मांस पकाकर खाने के लिए दिया था। जब वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक लगी तो वे आरोपित के घर पहुंचे, लेकिन अधिकारियों को देखते ही आरोपित और उसकी पत्नी दीवार कूदकर भाग गए।

मुखबिर से मिली थी सियार के शिकार की सूचना

मौके से वन अधिकारियों ने करीब दो किलो मांस, हड्डी, सियार के बाल सहित काटने एवं पकाने के अन्य उपकरण जब्त किए हैं। अंदेशा जताया जा रहा है कि ये लोग पहले भी शिकार के मामले में संलिप्त हो सकते हैं। विभाग के अधिकारी अब आरोपित की तलाश में जुट गए हैं। डीएफओ अनुराग तिवारी ने बताया कि रविवार रात में मुखबिर से सूचना मिली कि सिरलाय क्षेत्र में किसी के यहां सियार का शिकार कर उसका मांस पकाया जा रहा है। इसकी जानकारी मिलते ही तुरंत विभागीय टीम सक्रिय हुई। यहां वन विभाग की टीम आरोपित श्यामनाथ पुत्र मिश्रीनाथ की झोपड़ी में पहुंची।

बर्तन में रखा डेढ़ किलो मांस जब्त

टीम ने देखा कि घर में मांस की बदबू आ रही है। जैसे ही टीम के आने की भनक लगी। आरोपित श्याम पीछे से दीवार कूदकर फरार हो गया। इधर, विभागीय अधिकारियों ने आरोपति की पत्नी ममता से पूछताछ की तो बहाने से घर के अंदर गई और पीछे से कूदकर वह भी फरार हो गई। इस दौरान अधिकारियों ने बर्तन में रखा डेढ़ किलो मांस जब्त किया। मौके पर सियार के बाल एवं उसकी हड्डियां भी मिली है। इन सभी को डीएनए जांच के लिए जब्त किया गया है। जब घर के आसपास की तलाशी की गई तो कुछ दूरी पर भी आधा किलो मांस मिला है।

मांस पकाकर कुछ लोगों को बांट भी दिया

विभाग के अधिकारियो को यह भी जानकारी मिली है कि उसने मांस पकाकर कुछ लोगों को बांटा भी है, जिसकी जांच भी की जा रही है। आरोपित पर केस दर्ज किया उल्लेखनीय है कि सियार शेड्यूल एक(भाग ए) का वन्य प्राणी है। उसका शिकार करना वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कानूनी अपराध है।

इसे लेकर आरोपित श्याम के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। इस घटना में अन्य लोगों की संलिप्तता की जांच भी की जा रही है। इस कार्रवाई में रेंजर धर्मेंद्र सिंह राठौड़, डिप्टी रेंजर नरेंद्र सिंह मंडलोई, डिप्टी रेंजर अरविंद सिंह सेंगर, डिप्टी रेंजर एचएस सिसौदिया, कृष्णपाल सिंह, जयसिंह, राजेंद्र रावत, कालूराम मेवाडे, गजानंद वास्केल, मुकेश, दिनेश का सहयोग रहा।

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