raman agarwal। स्विमिंग पूल… चुभती गर्मी से राहत पाने के लिए अक्सर लोग इसी का सहारा लेते हैं। हर घर में प्राइवेट स्विमिंग पूल तो है नहीं, इसलिए अब विकल्प बचता है पब्लिक स्विमिंग पूल का। इसमें हर दिन अलग-अलग बैच में सैंकड़ों लोग स्विमिंग करने उतरते हैं। वैसे तो स्विमिंग सबसे बेहतर एक्सरसाइज में से एक है, लेकिन स्विमिंग पूल का पानी आपको बीमार कर सकता है। अब गर्मी के साथ बारिश में उमस भरा मौसम भी शुरू होने जा रहा है। ऐसे में यह पानी और खतरनाक साबित होगा।
शहर के डर्मेटोलाजिस्ट डा.दिनेश माथुर कहते हैं कि स्विमिंग पूल में अनहाइजीन के कारण अब बच्चों में स्किन और आंख के इंफेक्शन की समस्या बढ़ रही है। अगर थोड़ी सी भी लापरवाही बरती तो यह परेशानी गंभीर रूप ले सकती है। इनसे कैसे बचा जाए क्या है प्रोटोकॉल।
क्लोरीनेटेड वाटर…स्किन में रैशेज, खुजली बढ़ा रहा, पीएच लेवल मेंटेन नहीं:
– पब्लिक स्विमिंग पूल में रोज पानी नहीं बदला जाता। पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन डाला जाता है, लेकिन अक्सर क्लोरीन कोई विशेषज्ञ नहीं, बल्कि सफाईकर्मी या सुपरवाइजर डालते हैं। उन्हें पता ही नहीं, पानी में क्लोरीन की कितनी मात्रा मिलानी है। यह सबसे बड़ी गलती है। इससे पीएच लेवल मेंटेन नहीं होता। क्लोरीनेटेड वाटर में अधिक देर तक शरीर रहने पर स्किन इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यही पानी जब आंख में जाता है तो आंख में लालपन, ड्रायनेस पैदा करता है।
– सन स्क्रीन लोशन लगाकर पानी में उतरने की आदत ही नहीं है। वाटर बाडीज में सूर्य की पराबैंगनी किरणों का रिफ्लेक्शन होता है, इससे स्किन पर सीधा असर पड़ता है।
– सभी स्विमिंग पूल में हाइजीन मेंटेन नहीं होता। अक्सर कई बार तो स्विमिंग कास्टयूम के बिना घर के कपड़ों में ही लोग इसमें उतर जाते हैं। स्विमिंग कास्टयूम अनिवार्य है। इससे इंफेक्शन का खतरा कम होता है। जो लोग घर के कपड़ों में स्विमिंग करते हैं। उनसे पूल का पानी इंफेक्टेड होता है।
– कई लोग स्विमिंग पूल में उतरने से पहले और बाद में शावर ही नहीं लेते। यह सबसे बड़ी गलती है। इससे बिना शावर लिए जब कोई व्यक्ति पानी में उतरता है तो उसका पसीना, गंदगी पानी के अंदर जाती है। ऐसे में पानी गंदा होता है। पूल से निकलने के बाद भी शावर नहीं लेते, इससे स्किन ड्राइनेस बढ़ती है। क्लोरीन हटाने की जरूरत होती है, लेकिन लोग ऐसा नहीं करते।
– कई बार स्विमिंग पूल का पानी कान, नाक में जाता है। इससे बैक्टीरिया संक्रमण बढ़ता है। कान में रोज पानी जाता रहेगा, इससे कान में फंगल इंफेक्शन के चांस बढ़ जाते हैं।
यह सावधानी रखें
– पानी का पीएच लेवल, क्लोरीन का पीएच लेवल जरूर जांच लें। अधिक होने पर न उतरें।
– बालों की सुरक्षा के लिए कैप का उपयोग करें। इससे हेयर से जुड़ी परेशानी नहीं होगी। क्लोरीन युक्त पानी बालों में नहीं जाएगा।
– कान में ईयर प्लग अनिवार्य रूप से लगाएं, जिससे जब भी स्विमिंग करेंगे पानी कान में नहीं जाएगा।
– स्किन की सुरक्षा के लिए कम से कम 40 एसपीएफ वाला सन स्क्रीन लोशन लगाएं। इसे स्किन पर 15 मिनट पहले अप्लाय करें।
– अगर सर्दी, जुकाम या किसी तरह का स्किन, फंगल इंफेक्शन, घाव है तो पानी में कतई न उतरे। इससे खुद भी सुरक्षित रहेंगे और दूसरों को भी संक्रमण नहीं फैलेगा।
– पानी में उतरने से पहले शावर लें, जैसे ही बाहर निकलें तो स्लीपर पहने और सीधे शावर लेने जाएं।