*बुजुर्ग झेल रहे तनाव*
सोच बदलनी होगी
*सोचो यदि संस्कारों की शिक्षा न दी तो क्या होगा*
हाल ही एज्वेल फाउंडेशन द्वारा किए गए सर्वे से पता चला कि दो तिहाई बुजुर्ग अपने घर परिवार के लोग बच्चे और रिश्तेदार से बदसलूकी झेल रहे हैं। बुजुर्गों का तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और वे भी लाचार हैं।
करे क्या ? बच्चों में संस्कारों के हनन के कारण ऐसा हो रहा है।
सोच बदलनी होगी
बच्चे अपने कैरियर बनाने की होड़ में संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं उन्हें कैरियर के साथ-साथ संस्कारों पर भी ध्यान देना होगा।
बुजुर्ग अपने परिवार की बेहतरी के लिए उनके द्वारा किए गए दुर्व्यवहार को नजरअंदाज करते हैं।
बुजुर्गों में महिलाओं की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि महिलाएं आर्थिक और शारीरिक रूप से आश्रित होती हैं। 40% बुजुर्ग महिलाएं पुत्रों से प्रताड़ित होती हैं।
पुत्र की शादी होने के बाद पुत्र अपनी मां की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं और जो पुत्र ज्यादा ध्यान देते हैं तो वह या तो स्वयं पत्नी से पीड़ित होते हैं या फिर पत्नी उनके व्यवहार से पीड़ित होती हैं।
सोच बदलनी होगी
परिवारों में सामंजस्य की कमी के कारण ऐसा होता है।
*सरकार को परिवारों में सामंजस्य कैसे हो इसके लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए* और बुजुर्गों के अधिकारों के प्रति आमजन को जागरूक करना चाहिए।
सोच बदलनी होगी
*बुजुर्गों को भावनाओं में बहकर अपनी चल अचल संपत्ति बच्चों के नाम नहीं करनी चाहिए।*
इसमें दो पहलू हैं एक पहलू यह है कि बच्चे को भविष्य में माता-पिता से कुछ न मिलने की सोच विकसित हो जाती है तो इस सोच के कारण वे अपने बुजुर्गों की कद्र करना छोड़ देते हैं। मनुष्य की प्रवृत्ति है जो कुछ हासिल हो गया उसे भूल जाते है और भविष्य में पाने की लालसा में भागते रहते है।
दूसरा पहलू जिन बच्चों में कूट-कूट के संस्कार भरा होता है उन्हें माता-पिता द्वारा दिया गया कुछ भी बहुत बड़ा लगता है और माता-पिता द्वारा दिया गया कुछ भी चल अचल संपत्ति को वृद्धि करके परिवार का नाम आगे बढ़ाते हैं।
सोच बदलो संस्कारों को महत्व दो जीवन सफल हो जाएगा।
साभार – डॉ मान सिंह भांवरिया मो +919672777737