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वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रोक से भी बचाव संभव

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वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रोक से भी बचाव संभव

जयपुर के संतोकबा दुर्लभ जी हॉस्पिटल का शोध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित

जयपुर। अक्सर युवावस्था में हार्ट और ब्रेन अटैक की रोकथाम को लेकर चर्चा होती है, लेकिन वृद्धावस्था में होने वाले स्ट्रोक को आमतौर पर “भाग्य का प्रकोप” मान लिया जाता है। इसी सोच को चुनौती देता है जयपुर के संतोकबा दुर्लभ जी हॉस्पिटल का हालिया शोध, जिसमें यह प्रमाणित किया गया है कि वृद्धावस्था में भी ब्रेन स्ट्रोक से बचाव संभव है—बशर्ते समय रहते सही पहचान और रोकथाम की जाए।

शोध में सामने आए अहम निष्कर्ष

हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरज भुटानी के नेतृत्व में हुए इस शोध में युवावस्था और वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रोक के कारणों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। शोध के अनुसार कार्डियो एम्बोलिक स्ट्रोक, विटामिन B12 की कमी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और जीवनशैली संबंधी कारक दोनों आयु वर्गों में लगभग समान रूप से पाए गए।

इस आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि यदि वृद्धावस्था में भी इन जोखिम कारकों की समय रहते पहचान और नियंत्रण किया जाए, तो स्ट्रोक को टाला जा सकता है।

वृद्धावस्था में स्ट्रोक के लक्षण—थोड़े अलग, पर खतरनाक

डॉ. भुटानी बताते हैं कि युवावस्था में स्ट्रोक के लक्षण अचानक हाथ-पैरों में कमजोरी, बोलने में कठिनाई और चक्कर जैसे होते हैं, जबकि वृद्धावस्था में इसके लक्षण अक्सर धीरे-धीरे सामने आते हैं। जैसे – स्मृति क्षीण होना, संतुलन बिगड़ना या धीमा भाषण। कई बार इन्हें उम्र का सामान्य प्रभाव समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जो घातक हो सकता है।

इलाज में क्या है अंतर?

इलाज की दृष्टि से युवाओं और वृद्धों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि वृद्ध मरीजों में अक्सर पहले से मौजूद अन्य बीमारियाँ (जैसे – हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप) इलाज की रणनीति को प्रभावित करती हैं। इसीलिए वृद्धावस्था में स्ट्रोक का उपचार अधिक सतर्कता और बहु-आयामी चिकित्सा दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए।

शोध को अंतरराष्ट्रीय मान्यता

यह शोध “जर्नल ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन इन इंडिया” में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है। शोध दल में डॉ. नीरज भुटानी के साथ डॉ. सुरेन्द्र शर्मा, डॉ. के के सिंह, डॉ. प्रिया अग्रवाल और डॉ. प्रणव गुप्ता शामिल रहे।

संदेश यह है :

यह शोध स्पष्ट करता है कि वृद्धावस्था में भी समय पर चेतावनी संकेतों को पहचानकर और जीवनशैली में सुधार लाकर ब्रेन स्ट्रोक को रोका जा सकता है। यह किसी भी उम्र में केवल ‘भाग्य’ का विषय नहीं, बल्कि ‘सजगता’ का परिणाम हो सकता है।

 

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